
राजस्थान पुलिस का शर्मनाक चेहरा, रेपिस्ट को बचाया





ैैैैैैैजयपुर । कोर्ट में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। चार्ज था- अपहरण(धारा 363) और धमकाना (धारा 506)। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फाइल पढ़ी तो चौंकाने वाला सच सामने आया। अपहरण और धमकाने के मामले में जिसकी बेल मांगी जा रही थी, वो एक नाबालिग बच्ची के अपहरण और रेप का आरोपी था।
अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश बानसूर ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी और डीजीपी राजस्थान और अलवर एसपी को मामले में जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। ये सब हुआ कैसे? रेप और पॉक्सो एक्ट में दर्ज केस अचानक अपहरण और धमकाने का मामला कैसे बन गया? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए भास्कर ने मामले से जुड़े सभी दस्तावेज खंगाले। की इंवेस्टिगेशन में सामने आया अलवर पुलिस का शर्मनाक चेहरा। एसएचओ रविंद्र कविया ने आरोपी को जमानत दिलाने के लिए पूरा केस ही बदल दिया। पढि़ए पूरी रिपोर्टज्
वारदात का तरीका नशीला पदार्थ सूंघाकर अपहरण
अलवर के बानसूर थाने 15 जून को 16 साल की नाबालिग के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। दौलतराम नाम का युवक अपने साथी के साथ बाइक पर आया और पीडि़ता के घर में घुस गया। सोती हुई नाबालिग को नशीला पदार्थ सुंघा कर बेहोश कर दिया। इसके बाद दोनों आरोपी नाबालिग को बाइक पर ले गए। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस पीडि़ता की तलाश में जुट गई। मोबाइल कॉल डिटेल खंगाली। दो दिन के बाद पुलिस ने पीडि़ता को बरामद कर दौलतराम को पकड़ लिया था। वहीं, दूसरे आरोपी के बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है।
कोर्ट ने मामले में सवाल उठाया कि जब पहले पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया गया तो बाद में किस आधार पर इसे हटाया गया। जज ने एसएचओ के न्यायालय परिसर में होने के बावजूद कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर भी सवाल उठाए।
कोर्ट ने मामले में सवाल उठाया कि जब पहले पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया गया तो बाद में किस आधार पर इसे हटाया गया। जज ने एसएचओ के न्यायालय परिसर में होने के बावजूद कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर भी सवाल उठाए।
अलवर पुलिस ने यूं किया खेल, पहले रेप माना, फिर सामान्य धाराओं में केस
पीडि़ता के मिलने के बाद पहले थाने में ही पुलिस ने 161 के बयान लिए। बयानों में पीडि़ता ने रेप की बात कही। इस पर पुलिस ने 17 जून को शाम 4 बजकर 10 मिनट पर डायरी में 353, 376 व पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया। बाद में पीडि़ता के 164 के बयान लिए। पुलिस ने पीडि़ता के माता-पिता को सूचना नहीं दी और पीडि़ता पर मानसिक दबाव बनाकर स्पष्ट बयान नहीं लिए। इसके बाद 18 जून को केस डायरी में बयानों का हवाला देकर पॉक्सो एक्ट व 376 की धारा को हटा कर धारा 363, 506 व 84 जेजे एक्ट का अपराध मान लिया।


