बीकानेर: करोड़ों खर्च…फिर भी नालों में छोड़ा जा रहा सीवर का पानी, कहीं लापरवाही तो कहीं मजबूरी

बीकानेर: करोड़ों खर्च…फिर भी नालों में छोड़ा जा रहा सीवर का पानी, कहीं लापरवाही तो कहीं मजबूरी

बीकानेर: करोड़ों खर्च…फिर भी नालों में छोड़ा जा रहा सीवर का पानी, कहीं लापरवाही तो कहीं मजबूरी

नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज प्रोजेक्ट और सीवरेज कार्यों के तहत करोड़ो रुपए खर्च हो चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी कहीं सीवरेज के पानी को सीधे नाले में छोड़ने और कहीं नाले के पानी को सीवरेज में डालने से सीवरेज कार्यों पर कई सवाल उठ रहे हैं। नगर निगम के अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बाद भी बरती जा रही उदासीनता अनुचित व्यवस्था को और प्रश्रय दे रही है। निगम एसटीपी के संचालन के लिए ऑपरेशन एण्ड मेंटीनेंस के रूप में भी हर साल लाखों रुपए खर्च कर रहा है। जबकि एसटीपी तक निर्धारित क्षमता का पानी पहुंच ही नहीं रहा है। अंबेडकर सर्कल से मेडिकल कॉलेज रोड पर पीबीएम अस्पताल की तरफ बने नाले में लंबे समय से सीवरेज के पानी को छोड़ा जा रहा है। इससे जो लाखों लीटर पानी बल्लभ गार्डन एसटीपी तक पहुंचना चाहिए, शोधित होकर पुन: उपयोग में आना चाहिए, वह नाले में व्यर्थ बह रहा है। हालांकि सड़क के नीचे से निकल रहे नाले की वजह से यहां सीवरेज चैंबर भी बना रखा है, लेकिन वह जाम बताया जा रहा है। तुलसी सर्कल, केईएम रोड और रानी बाजार की तरफ से आने वाली सीवर लाइनों का पानी इस मुख्य सीवर लाइन में आ रहा है, जो सीधे नाले में छोड़ा जा रहा है। पब्लिक पार्क स्थित पंपिंग स्टेशन से पंप कर पानी को तुलसी सर्कल और अंबेडकर सर्कल की तरफ भेजा जाता है। आगे यह पानी बल्लभ गार्डन की तरफ जाता है। समाजसेवी आदर्श शर्मा के अनुसार तुलसी सर्कल के पास रेलवे स्टेडियम की दीवार के पास बने एक सीवरेज चैंबर से पानी के ओवर लों की समस्या बनी रही। निगम प्रशासन ने इसका कोई प्रभावी उपाय करने के बजाय इस सीवरेज चैंबर के ओवर लो पानी के निस्तारण के लिए पुन: सीवर पानी को तुलसी सर्कल की ओर रिवर्स घुमाकर तुलसी सर्कल के पास स्थित नाले में छोड़ दिया है। नगर निगम में आयुक्त से लेकर जेईएन तक सीवरेज प्रोजेक्ट और सीवरेज सुविधाओं की समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाती है। मॉनिटरिंग के बाद भी लंबे समय से सीवर के पानी को नालों में छोड़ने और नाले के पानी को सीवर में छोड़ने की व्यवस्था कई स्थानों पर बनी हुई है। निगम की स्वास्थ्य शाखा में कार्यरत एचओ, एसआई और जमादार भी वार्ड स्तर पर नजर बनाए रखते है। इसके बावजूद इस प्रकार की व्यवस्था का सामने आने कई सवाल खडे़ कर रहा है।

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