आत्मनिर्भरता वास्तविकता में तभी संभव है जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था हो मजबूत : वोहरा - Khulasa Online आत्मनिर्भरता वास्तविकता में तभी संभव है जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था हो मजबूत : वोहरा - Khulasa Online

आत्मनिर्भरता वास्तविकता में तभी संभव है जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था हो मजबूत : वोहरा

खुलासा न्यूज,बीकानेर।महारानी सुदर्शना कन्या महाविद्यालय और नेहरू युवा केंद्र संगठन के संयुक्त तत्वावधान में आज महाविद्यालय परिसर में एक परिचर्चा “आत्मनिर्भर भारत कैसे बने? चुनौतियां और अवसर” तथा “कोरोना काल और आर्थिक मोर्चे के अवरोधक” पुस्तक पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शिक्षाविद और आर्थिक चिंतक डॉ. पीएस वोहरा थे।
“आत्मनिर्भर भारत कैसे बने? चुनौतियां और अवसर” विषय पर बोलते हुए डॉ वोहरा ने कहा कि कोरोना ने वित्तीय वर्ष 2020 21 में ना केवल अर्थव्यवस्था को बुरी तरह आर्थिक रूप से प्रभावित किया अपितु प्रत्येक आम व्यक्ति भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हुआ।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 12 मई 2020 को आत्मनिर्भरता के संबंध में लिया गया निर्णय अब भारत को एक नया आर्थिक विजन देता है। डॉ वोहरा ने यह स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। आत्मनिर्भरता से जहां एक तरफ एक मुल्क की दूसरे मुल्कों पर निर्भरता कम होती है वही उसके उत्पादों व सर्विस की वैश्विक पहचान भी बनती है। आर्थिक चिंतक डॉ वोहरा ने अपनी नवीनतम प्रकाशित पुस्तक “कोरोना काल और आर्थिक मोर्चे के अवरोधक” का उल्लेख करते हुए बताया कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भारत की अर्थव्यवस्था की मुख्य आधारशिला बनना होगा। इस संदर्भ में सरकारों को रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर अपने वार्षिक खर्च को बढ़ाना ही होगा। डॉ वोहरा ने आह्वान किया कि अगर सरकार आने वाले वर्षों में ऑटो तथा फार्मा सेक्टर के अंतर्गत 2000 नई छोटी कंपनियां बनाने का निश्चय करें तो इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का भारत के जीडीपी में 5 से 6 प्रतिशत तक का अंशदान बढ़ सकता है। उन्होंने आगे यह स्पष्ट किया कि सर्विस सेक्टर जो कि भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है, उसे अब भारत के समाज के लिए रोजगारों में वृद्धि करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता वास्तविकता में तभी संभव है जब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए तथा सरकार को चाहिए कि कृषि क्षेत्र पर निर्भर लोगों को मैन्युफैक्चरिंग तथा सर्विस सेक्टर के साथ जोड़े।
उन्होंने यह भी बताया कि जब तक इंडस्ट्री व शैक्षणिक संस्थानों में एक अच्छा तारतम्य स्थापित नहीं होगा तब तक युवा पीढ़ी को स्किल्ड एजुकेशन नहीं मिलेगी तथा इस कारण उन्हें सदैव अपने रोजगारों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। महारानी सुदर्शना महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. शिशिर शर्मा ने डॉक्टर वोहरा का स्वागत किया तथा महाविद्यालय परिवार की तरफ से उनकी प्रकाशित नवीनतम पुस्तक “कोरोना काल और आर्थिक मोर्चे के अवरोधक” के लिए उन्हें सम्मानित भी किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. रजनी शर्मा ने किया और सभी का आभार एनएसएस प्रभारी डॉ अंजली शर्मा ने किया वही कार्यक्रम की शुरुआत में कॅरिअर काउंसलर डॉ. चन्द्रशेखर श्रीमाली ने डॉ वोहरा का परिचय दिया।

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