
कोरोना की तीसरी लहर और डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों ने कही ये बड़ी बात






नई दिल्ली. देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. अभी भी हजारों की संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं कोरोना के खतरनाक डेल्टा वेरिएंट के सामने आने के बाद अब डेल्टा प्लस वेरिएंट का मिलना चिंता पैदा कर रहा है. इस वेरिएंट के दूसरी लहर में मौजूद डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक होने की आशंका जता रही भारत सरकार ने डेल्टा प्लस वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ कंसर्न की केटेगरी में रखा है.हालांकि डेल्टा प्लस वेरिएंट की जीनोम सीक्वेसिंग कर रहे वैज्ञानिकों ने राहत की बात बताई है. द इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी की ओर से की गई जीनोम सीक्वेसिंग में डेल्ट प्लस वेरिएंट को लेकर कई बातें सामने आई हैं. आईजीआईबी की ओर से 3500 लोगों के सैंपल की सीक्वेंसिंग में करीब एक फीसदी यानि 40 लोगों में डेल्टा प्लस वेरिएंट मिला है. ऐसे में जीनोम सीक्वेंसर की ओर से कहा जा रहा है कि जरूरी नहीं है कि डेल्टा प्लस की वजह से कोरोना की तीसरी लहर आए.
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट एंड हेड, साइंस कम्यूनिकेशन एंड साइंस डिसेमिनेशन डॉ. गीतावाणी ने बताया कि डेल्टा प्लस वेरिएंट हाल ही में सामने आया है इसलिए इस पर अभी भी रिसर्च चल रहे हैं. जनसंख्या पर की गई जीनोम सीक्वेंसिंग के आधार पर देखें तो डेल्टा प्लस वेरिएंट काफी कम लोगों में सामने आया है. हालांकि अभी लेबोरेटरी रिसर्च किया जाना बाकी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसका ट्रांसमिशन कितना फीसदी ज्यादा है.
डॉ. गीता कहती हैं कि लेबोरेटरी रिसर्च में अभी यह भी पता लगाया जाना बाकी है कि एंटीबॉडी पर इस वेरिएंट का क्या असर रहता है या वैक्सीनेशन का असर इस डेल्टा प्लस पर कितना रहता है. हालांकि फिर भी आईजीआईबी की ओर से जिन लोगों की जीनोम सीक्वेसिंग की गई है उस डेटा से यही सामने आया है कि यह खतरनाक जरूर हो सकता है लेकिन तीसरी लहर इसी की वजह से आएगी यह कहना मुश्किल है.
डेल्टा प्लस से आएगी तीसरी लहर कहना मुश्किल
गीतावाणी कहती हैं कि अभी दूसरी लहर चल रही है इसमें डेल्टा वेरिएंट की मौजूदगी मिली और उसका असर भी देखने को मिला. लेकिन यहां यह भी देखा गया कि दूसरी लहर से पहले भारत में अल्फा वेरिएंट जिसे यूके वेरिएंट कहा गया आया लेकिन वह गायब हो गया. इसी तरह साउथ अफ्रीकी वेरिएंट, बंगाल वेरिएंट, ब्राजीलियन सहित कई वेरिएंट भारत में पाए गए लेकिन इनमें सबसे खतरनाक डेल्टा रहा. इसी तरह अब डेल्टा प्लस वेरिएंट आने पर यह कहा जाए कि तीसरी लहर इसी की वजह से आएगी तो ऐसा नहीं कहा जा सकता लेकिन अगर लापरवाही बरती गई और इस वेरिएंट को फैलने के लिए सभी सुविधाएं दी गईं तो यह बहुत खतरनाक भी हो सकता है.
किसी भी लहर को रोकने के लिए ये चीजें जरूरी
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र कहते हैं कि आईजीआईबी की ओर से पेश किया गया डेटा बता रहा है कि अभी डेल्टा प्लस की मौजूदगी कम होने की वजह से इसे तीसरी लहर का वाहक नहीं कहा जा सकता है यह सही है लेकिन ऐसी किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. अभी डब्लूएचओ ने भी इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में नहीं रखा है लेकिन एहतियात बहुत जरूरी है.
डॉ. मिश्र कहते हैं कि अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा या अब डेल्टा प्लस चाहे जो भी वेरिएंट हो या फिर साधारण कोरोना वायरस हो लेकिन अगर इसे पनपने के लिए मुफीद वातावरण मिला तो यह मुश्किलें पैदा कर सकता है. तीसरी लहर की जहां तक बात है तो जैसा कि वायरस का म्यूटेशन बढ़ता जा रहा है और वायरस नित नए रूप में सामने आ रहा है तो उसका मतलब यही है कि चुनौती कई रूपों में सामने आ रही है, जिसे पहचानना बेहद जरूरी है.
डेल्टा प्लस वेरिएंट खतरनाक है. अभी 3500 लोगों के सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई है अगर बड़ी संख्या में सीक्वेंसिंग की जाए तो हो सकता है कि डेल्टा प्लस के और मरीज मिलें और संभावना है कि इनके संपर्क में आने से और भी मरीज पैदा हो जाएं ऐसे में जरूरी है कि सरकारें पूरी तरह वैक्सीनेशन को बढ़ाएं साथ ही हर व्यक्ति मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे ताकि वेरिएंट चाहे जो हो लेकिन बचा जा सके.
डेल्टा प्लस की जिम्मेदारी तय नहीं लेकिन लापरवाही पड़ सकती है भारी
डॉ. गीतावाणी कहती हैं कि अभी तक के साइंटिफिक डेटा और मामलों से यह नहीं कह सकते हैं कि तीसरी लहर इसकी वजह से आएगी लेकिन यह खतरनाक है यह तो माना जा सकता है. इसको लेकर बरती गई कोई भी लापरवाही भयानक परिणाम दे सकती है. इस वेरिएंट के मामले महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में मिले हैं. हालांकि अगर आने वाले समय में कोरोना के बचाव को लेकर सावधानी नहीं बरती गई तो संभव है कि डेल्टा प्लस के बाद भी कोई और नया वेरिएंट आ जाए. यही वजह है कि लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही है ताकि वायरस के म्यूटेशन का पता चलता रहे और उसी आधार पर सावधान किया जाता रहे


