
सन्त पंकज जी ने किया प्रश्न- मृत्यु के बाद आप कहॉ जायेंगे?





खुलासा न्यूज़ लूणकरणसर बीकानेर संवाददाता लोकेश कुमार बोहरा। जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के मुख्यालय मथुरा से अपने राश्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज की अगुवाई में निकली 82 दिवसीय षाकाहार-सदाचार, मद्यनिशेध आध्यात्मिक जन जागरण यात्रा ने ग्राम धीरेरा में रात्रि पड़ाव किया। आज यहॉ आयोजित सत्संग समारोह में प्रवचन करते हुये संस्थाध्यक्ष ने कहा कि आपको मनुष्य शरीर की प्राप्ति परमात्मा का सबसे बड़ा वरदान है। यह चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेश्ठ है क्योंकि इसमें से प्रभु के पास जाने का एक दरवाजा है, जिसका भेद सन्त-महात्मा जानते हैं। कलियुग में मनुश्य की आयु, षारीरिक बल, मन और प्राणों की स्थिति में बहुत बड़ा परिवर्तन हो गया, इसलिये पहले के युगों की साधना सम्भव नहीं है। प्रभु की सबसे बड़ी दया हुई कि कलियुग में सन्तोें को भेजा और उन्होंने षब्द (नाम) का रास्ता जारी किया जो गृहस्थ आश्रम में रहकर आसानी से किया जा सकता है। षरीर में आत्मा दोनों ऑखों के मध्य में विराजमान है उसमें परासृश्टि यानि देवी-देवताओं, ईष्वर-ब्रह्म आदि लोकों को देखने की दिव्य ऑख (तीसरा नेत्र)। प्रभु के देष से आ रही आकाषवाणी जिस पर आत्मायें उतारकर लायी गयीं, सुनने का दिव्य कान यानि तीसरा कान है।
सन्त पंकज जी ने प्रष्न करते हुये कहा कि क्या आपको मालूम है कि जन्म लेने से पहले आप कहॉ थे? मृत्यु के बाद आप कहॉ जायेंगे? हमारे नाते रिष्तेदार व अन्य लोग कहॉ जा रहे हैं? उनकी क्या दषा होती है? यह मानव जीवन का जटिल प्रष्न है। इस पर सभी को विचार करना चाहिये। यह सन्त सत्गुरुओं के आध्यात्मिक विज्ञान का गूढ़ रहस्य है। ये प्रष्न तब तक हल नहीं होंगे जब तक उस प्रभु की प्राप्ति वाले सन्त महात्मा नहीं मिलेंगे। पैदो होने से पहले हम सबने भगवान के भजन का वादा किया था लेकिन यहॉ आकर वादे को भूल गये और षराबों-कबाबों व ऐषो-इषरत में सुख ढूँढ़ने लगे। चरित्र पतन जैसे कार्यों को करते हुये सुख कैसे मिलेगा? इसलिए आप सब पहले इन्सान बनें, मानवतावादी बनें, निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे की सेवा करें। महापुरुश जो दया का प्रसाद दें उसे लेकर आत्मा का कल्याण करें।
उन्होंने याद कराते हुये कहा कि हमारे गुरू महाराज परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने आवाज लगाई कि ऐ इंसानों! तुम अपने दीन ईमान पर वापस आ जाओ और इस मनुश्य मन्दिर में बैठकर प्रभु की सच्ची पूजा करो, जिस्मानी मस्जिद में बैठकर खुदा की इबादत करो ताकि तुम्हारी आत्मा, रूह दोजखों-नर्कों में जाने से बच जाय। उन्होंने ‘‘तिल भर मच्छी खाइ के, कोटि गऊ दे दान। काषी करवट ले मरै, निष्चय नरक निदान।।’’ पंक्तियों को उद्धृत करते हुये कहा कि अषुद्ध खान-पान और षराब जैसे नषों के सेवन से समाज में हिंसा-अपराध व्याप्त है। युवा पीढ़ी नषे की गिरफ्त में आती जा रही है। समाज के सभी प्रबुद्ध जनों व समाज सेवियों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाये और अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनें, स्वयं षाकाहारी बनें व नषों का त्याग करें। यह आपकी बहुत बड़ी सेवा होगी। उन्होंने आगामी 1 से 5 दिसम्बर तक जयगुरुदेव मन्दिर मथुुरा में आयोजित होने वाले पूज्यपाद स्वामी घूरेलाल जी महाराज ‘‘दादा गुरु जी’’ के वार्शिक भण्डारा महापर्व में भाग लेने का निमन्त्रण दिया।
इस अवसर पर संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव, जयगुरुदेव आश्रम मथुरा के प्रबन्धक सन्तराम चौधरी, संगत दिल्ली प्रदेष अध्यक्ष विजय पाल सिंह, बिहार प्रान्त अध्यक्ष मृत्युंजय झा, महासचिव म0प्र0 बी0बी0 दोहरे, राश्ट्रीय उपदेषक राजेष, डॉ0 कुँवर बृजेष सिंह संस्था की प्रबन्ध समिति के कई सदस्य एवं कार्यक्रम के संयोजक रतनाराम, श्रवण सारण रंगाईसर, सरपंच धीरेरा श्रीमती किस्तूरी देवी, आखाराम मेघवाल, सहीराम गोदारा, खिंचाराम गोदारा, इ. पार्वती मील आदि मौजूद रहे। सत्संग के बाद जनजागरण यात्रा अगले पड़ाव नोखड़ा तह. कोलायत जिला बीकानेर के लिये प्रस्थान कर गई। जहॉ 12 सितम्बर को प्रातः 11 बजे से सत्संग समारोह आयोजित है।


