साहब बस भामाशाह ऑनलाइन हो जाए! - Khulasa Online साहब बस भामाशाह ऑनलाइन हो जाए! - Khulasa Online

साहब बस भामाशाह ऑनलाइन हो जाए!

-ऑनलाइन व्यवस्था में अटकी हजारों लोगों की खाद्य सुरक्षा, द्वितीय लेवल पर नहीं हो रही जांच
बीकानेर। गरीब परिवारों को दो रुपए किलो गेहूं के साथ भामाशाह कार्ड के माध्यम से निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने वाली खाद्य सुरक्षा योजना ऑनलाइन व्यवस्था में अटक गई है। बीकानेर जिले के सैंकड़ों आवेदन विगत चार माह से अपना नाम खाद्य सुरक्षा की सूची में शामिल करवाने के लिए उपखंड कार्यालय व पंचायत समितियों के चक्कर निकाल रहे हैं लेकिन आवेदनों का निस्तारण नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि इनमें से कई ऐसे आवेदक है, जिनके परिवार में सदस्य गंभीर बीमारी से पीडि़त है और इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं है। उन्हें दो रुपए किलो गेहूं से ज्यादा भामाशाह को ऑनलाइन करवाने की जल्दी है, क्योंकि भामाशाह ऑनलाइन होने पर ही उनका निशुल्क इलाज हो सकता है। जिला कलक्टर के संज्ञान में ऐसे प्रकरण आने के बावजूद मामले में अब तब ढिलाई बरती जा रही है।
बीपीएल व अंत्योदय योजना के चयन से वंचित गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा योजना से जोडऩे का कार्य चल रहा है। शुरुआत में ग्राम पंचायत व वार्डवार कैम्प लगाकर खाद्य सुरक्षा के ऑनलाइन आवेदन लिए गए लेकिन बाद में ऑफलाइन आवेदनों में शिकायतें आने पर इन्हें ऑनलाइन कर दिया गया। हालांकि दावे किए गए कि आवेदन करने के एक सप्ताह बाद ही पात्र व्यक्ति का नाम खाद्य सुरक्षा में जुड़ जाएगा लेकिन बीकानेर जिले में चार माह में इक्का-दुक्का लोगों को ही खाद्य सुरक्षा में नाम जुडऩे का प्रमाण-पत्र मिला है, जबकि उन्हें राशन अब भी नहीं मिल पा रहा है।
मिलता है निशुल्क इलाज
खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़े परिवारों के भामाशाह कार्ड पर कई बड़े प्राइवेट अस्पतालों सहित सरकारी अस्पतालों में इलाज व जांचें निशुल्क की जाती है। तीन लाख रुपए तक भामाशाह में निशुल्क इलाज की व्यवस्था है। यही कारण है कि भामाशाह को ऑनलाइन कराने के लिए गरीब व्यक्ति चक्कर निकाल रहे हैं।
पात्रता के नाम पर दिखावा
खाद्य सुरक्षा योजना में मनरेगा श्रमिक के साथ-साथ श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक, वृद्धावस्था, दिव्यांग, विधवा पेंशनर्स सहित दो दर्जन विकल्प दिए गए हैं, जो इस योजना से जुड़ सकते हैं लेकिन जिले में पात्र व्यक्तियों के विकल्प चयन को भी नजर अंदाज किया जा रहा है। श्रमिक जितेन्द्र कुमावत का कहना है कि मजदूर कार्ड बने चार वर्ष हो चुके हैं और आगे दो वर्ष तक कार्ड की वैद्यता है। इसके बावजूद आवेदन कभी ऑरिजनल आधार कार्ड, भामाशाह कार्ड, राशन कार्ड के आक्षेप लगाकर भेज दिया जाता है, तो कभी मजदूर डायरी की ऑरिजनल प्रति लगाने की बात कही जाती है, जबकि ये सभी दस्तावेज ऑनलाइन जांच किए जा सकते हैं।
भामाशाह चालू हो जाए
वृद्धावस्था पेंशन ले रही कलावती देवी पंवार दो साल से गंभीर बीमारी से पीडि़त है। उनका कहना है कि कई बार ऑफलाइन फार्म जमा कराए लेकिन नाम खाद्य सुरक्षा में नहीं जुड़ा, चार माह पहले ऑनलाइन आवेदन किए लेकिन अब भी प्रथम स्तर पर आवेदन स्वीकृति की बात कही जा रही है। उनका कहना है कि भामाशाह चालू हो जाए, तो वे प्रतिष्ठित अस्पताल में ऑपरेशन करा सकती है।
गरीबों की सुनवाई नहीं
विधवा महिला जसोदा देवी का कहना है कि सरकार पांच सौ रुपए पेंशन दे रही है। चार बच्चों के साथ परिवार का पेट पालना पांच सौ रुपए में कैसे संभव है। खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़ जाए, तो दो रुपए किलो गेहूं से परिवार को पालने में आसानी हो जाएगी। उसका कहना है कि कोई भी गरीबों की सुनवाई नहीं कर रहा है।

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