सादुल स्पोर्ट्स स्कूल बीकानेर: भूख हड़ताल के 17वें दिन में प्रवेश, सरकार और शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल

सादुल स्पोर्ट्स स्कूल बीकानेर: भूख हड़ताल के 17वें दिन में प्रवेश, सरकार और शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल

सादुल स्पोर्ट्स स्कूल बीकानेर: भूख हड़ताल के 17वें दिन में प्रवेश, सरकार और शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल

बीकानेर। प्रदेश के एकमात्र आवासीय खेल विद्यालय, सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के बाहर क्रीड़ा भारती के नेतृत्व में जारी भूख हड़ताल आज 17वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। क्रीड़ा भारती के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खिलाड़ियों का यह आंदोलन सरकार और शिक्षा विभाग की उदासीनता के खिलाफ बढ़ते आक्रोश का प्रतीक बन गया है।

92 वर्षीय स्वर्ण पदक विजेता पाना देवी गोदारा ने बढ़ाया हौसला
आंदोलन को उस समय नई मजबूती मिली, जब 92 वर्षीय राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी पाना देवी गोदारा धरनास्थल पहुंचीं और खिलाड़ियों को अपना समर्थन दिया। इस उम्र में भी खेल और खिलाड़ियों के अधिकारों के प्रति उनके जज़्बे को सभी ने सराहा। उनकी उपस्थिति ने खिलाड़ियों में जोश भरने के साथ-साथ उनके संघर्ष को प्रेरणा प्रदान की।

राजस्थान फुटबॉल संघ के सचिव दिलीप सिंह शेखावत ने किया निरीक्षण
धरनास्थल पर राजस्थान फुटबॉल संघ के सचिव दिलीप सिंह शेखावत भी पहुंचे और आंदोलन को अपना समर्थन दिया। उन्होंने सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के सभी मैदानों का निरीक्षण किया और वहां खेलों की दुर्दशा पर दुख और पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने कहा:
“यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। खेल प्रतिभाओं के विकास के लिए जिस समर्पण की जरूरत है, वह पूरी तरह नदारद है। सरकार को तत्काल इस ओर ध्यान देना होगा।”

बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष जारी
सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के छात्रों को डाइट, खेल उपकरण और अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग की अनदेखी और उदासीनता ने खिलाड़ियों को अपने अधिकारों के लिए भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर कर दिया है।

पूर्व खिलाड़ी दानवीर सिंह भाटी ने शिक्षा विभाग को घेरा
पूर्व खिलाड़ी दानवीर सिंह भाटी ने सरकार और शिक्षा विभाग पर तीखा हमला करते हुए कहा:
“16 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे खिलाड़ियों को अब भी उनके अधिकारों की सुनवाई नहीं मिल रही है। यह सरकार और विभाग की संवेदनहीनता को दर्शाता है।”

आंदोलन और तेज करने की चेतावनी
आंदोलनकारी छात्रों ने साफ कहा है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो प्रदर्शन को और उग्र रूप दिया जाएगा।
“हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं होतीं। सरकार को खिलाड़ियों के भविष्य से खिलवाड़ बंद करना होगा,” उन्होंने कहा।

जनसमर्थन में इजाफा
भैरुरतन ओझा ने बतया की जैसे-जैसे आंदोलन लंबा खिंच रहा है, वैसे-वैसे इसे स्थानीय लोगों, अभिभावकों और खेल संगठनों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। जनसमर्थन ने सरकार और प्रशासन पर दबाव और बढ़ा दिया है।

सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में
भूख हड़ताल के 16 दिन पूरे होने के बावजूद सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से ठोस कदम न उठाया जाना उनके खेल और खिलाड़ियों के विकास के वादों को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है।

आंदोलन जारी, संघर्ष अटल
आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, यह आंदोलन समाप्त नहीं होगा। अब यह देखना है कि सरकार और प्रशासन कब तक इस गंभीर स्थिति की अनदेखी करते हैं।

सरकार को प्रदेश की खेल प्रतिभाओं की अनदेखी का रवैया तुरंत बदलना होगा, वरना यह आंदोलन उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक चुनौती बन सकता है।

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