राजस्थान में संविदाकर्मियों के लिए नियम जारी, सरकारी कर्मचारी की तरह नहीं होंगे नियमित - Khulasa Online राजस्थान में संविदाकर्मियों के लिए नियम जारी, सरकारी कर्मचारी की तरह नहीं होंगे नियमित - Khulasa Online

राजस्थान में संविदाकर्मियों के लिए नियम जारी, सरकारी कर्मचारी की तरह नहीं होंगे नियमित

 

जयपुर।राजस्थान की गहलोत सरकार ने संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए नियम जारी कर दिए है। लेकिन संविदाकर्मियों की लंबे समय से नियमित करने की मांग को मौजूदा नियमों में नहीं माना गया है। सरकार जब चाहे संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी को निकाल सकेगी। संविदा कर्मी को नौकरी पर नहीं रखने पर दो महीने का वेतन देगी। राज्य के संविदाकर्मी सरकारी कर्मचारियों की तरह नियमित नहीं होंगे। कार्मिक विभाग के आदेश के अनुसार गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों की नियमित करने की मांगे नहीं मानी है। हालांकि, सरकार ने संविदाकर्मियों के लिए लाभ तय कर दिए। पीएएफ जमा करने और छुट्टियों की सुविधाए मिलेंगी। कार्मिक विभाग द्वारा जारी आदेश में संविदा कर्मियों के नियमित करने का कहीं जिक्र नहीं है। सरकार कार्य के निर्धारण के आधार पर अगले वर्ष संविदा रखेगी। संविदा कर्मियों को कोई तदर्थ बोनस नहीं दिया जाएगा। महिला संविदा कर्मी को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलेगा। उल्लेखनीय है कि सीएम गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों को नियमित करने का निर्णय लिया गया था।
संविदा कर्मियों को मिलेगा आरक्षण का लाभ
कार्मिक विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार एसी, एसटी, ओबीसी, अति पिछड़ा वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर  वर्गों के पुरुष अभ्यर्थियों को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट देने का प्रावधान किया गया है। सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के मामले में 5 वर्ष और एससी, एसटी, ओबीसी, अति पिछड़ा  वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के मामले में 10 वर्ष की शिथिलता रहेगी। आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति संविदा पर रखने के लिए पात्र नहीं होगा अनुशासनिक आधार पर लोक सेवा से हटाया गया नहीं हो। दोष सिद्ध व्यक्ति भी संविदा के आधार पर नहीं रखा जाएगा।
दो से अधिक संतान वाला नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा
आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसके1 जून 2002 दो को या उसके पश्चात दो से अधिक संतान हो इन नियमों के अधीन नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा। परंतु दो ज्यादा संतानों वाला अभ्यर्थी  तब तक नियुक्ति के लिए निर्हित नहीं समझा जाएगा जब तक उसकी संतानों की उस संख्या में , जो एक जून 2002 को है, बढ़ोतरी नहीं होती है। किसी भी अभ्यर्थी की संतानों की कुल गणना करते समय ऐसी संतानों को नहीं गिना जाएगा जो पूर्व के प्रसव से पैदा हुई हो और निशक्तता से ग्रसित हो।

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