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निर्माणाधीन फैक्ट्री की छत गिरी, मलबे में दबने से 8 की मौत, एक दर्जन से ज्यादा फंसे

जोधपुर। जोधपुर के बासनी में एक निर्माणाधीन फैक्ट्री की छत गिरने से करीब एक दर्जन मजदूर मलबे में दब गए। इनमें से 8 की मौत होने की पुष्टि हो चुकी है। बाकी मजदूरों को ढूंढा जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मृतकों के परिजन को मुख्यमंत्री सहायता कोष से 2-2 लाख रुपए की मदद का ऐलान किया है। गंभीर घायलों को चालीस हजार रुपए की सहायता दी जा रही है। आर्थिक सहायता और बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

जिला प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। JCB से फैक्ट्री का मलबा हटाया जा रहा है। मलबे में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए चारों तरफ लाइट की विशेष व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार ने संभागायुक्त समित शर्मा को मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। जिला कलक्टर ने बताया कि फैक्ट्री पर मैटेलिक छत्त डाली जा रही थी, जिसमें लापरवाही बरती गई है। इसके लिए क्रेन का उपयोग हो रहा था। इसलिए एफएसएल टीम को बुलाया गया है।

जेसीबी मशीन से फैक्ट्री का गिरा हुआ मलबा हटाया जा रहा है। चारों तरफ लाइट की विशेष व्यवस्था की गई है ताकि मलबे में फंसे मजदूरों को निकाला जा सके। हालांकि अब किसी के जिंदा बचने की उम्मीद नहीं की जा रही है।

मृतकों में पांच मजदूर बाडमेर के
इस दुर्घटना में मरने वालों में पांच मजदूर बाडमेर से यहां आकर मजदूरी कर रहे थे, जबकि दो जने बांसवाड़ा से यहां आए थे। वहीं एक मजदूर जोधपुर का था। इनमें बाडमेर के मालाराम (पचपदरा बाडमेर), जैसाराम (पाटोदी, बाडमेर), राजूराम (पचपदरा बाडमेर), हरखाराम (पाटोदी, बाडमेर), रेवतराम (पाटोदी, बाडमेर) थे।

वहीं बांसवाड़ा के दीना (केरीथाना, खमेरा बांसवाड़ा), ईश्वर निनाम (केरीथाना, खमेरा बांसवाड़ा) वहीं एक मजदूर जोधपुर से था, जिसका नाम हीराराम है। वो प्रतापनगर का रहने वाला था। माना जा रहा है कि अधिकांश मृतक एक ही परिवार के हैं। घायलों में तीन बांसवाड़ा के है। जिनमें दुलेश्वर, बादामीलाल, दिलीप राठौड़ है। जैसलमेर के मोटाराम, प्रतापगढ़ के बंशी रावत भी घायलों में है। मृतकों व घायलों की उम्र 20 से 28 साल के बीच है।

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