
बीकानेर: चकाचौंध रोशनी से सड़कें बन रहीं मौत का जाल, पढ़ें ये खबर





बीकानेर: चकाचौंध रोशनी से सड़कें बन रहीं मौत का जाल, पढ़ें ये खबर
बीकानेर। रात ढलते ही सड़कें दूधिया रोशनी से चमक उठती हैं, लेकिन यही चमक जिंदगी पर अंधेरा डाल रही है। हाई बीम हेडलाइट की तेज रोशनी वाहन चालकों की आंखों को 10 से 30 सेकेंड तक अंधा कर देती है। इस दौरान चालक का विजन पूरी तरह शून्य हो जाता है और हादसा होना लगभग तय हो जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति आंखों में धूल झोंकने जैसी होती है, जिसमें पलभर की चूक जानलेवा साबित हो रही है। यातायात पुलिस और आरटीओ विभाग हाई बीम हेडलाइट्स के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बेहद सुस्त दिख रहे हैं। जनवरी से जुलाई तक के सात महीनों में यातायात पुलिस ने बिना हेलमेट के 23,540 चालान, तेज गति से चलने पर 13,369 चालान और सीट बेल्ट नहीं लगाने पर 4,778 चालान बनाए। लेकिन हाई-लो बीम जैसी गंभीर समस्या पर महज 81 चालान किए गए। यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि चकाचौंध रोशनी की वजह से होने वाले हादसों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।जानकारों के अनुसार हाई बीम की रोशनी अचानक आंखों के सामने आने पर चालक की दृष्टि 10 से 30 सेकेंड तक शून्य हो जाती है। इसे ‘‘जीरो विजन इफेक्ट’’ कहा जाता है। इस दौरान सामने से आती कोई भी गाड़ी, मोड़ या राहगीर दिखाई नहीं देता। ऐसे में वाहन चलाना खुद के साथ-साथ दूसरों की जान को भी खतरे में डालता है। कई वाहन मालिक अपनी कार या जीप में मॉडिफाइड एलईडी और प्रोजेक्टर हेडलाइट्स लगवा रहे हैं। ये हेडलाइट्स सामान्य से कहीं ज्यादा चमकदार होती हैं, जो सड़क पर आने वाले हर वाहन चालक को असहज कर देती हैं। मोटर वाहन अधिनियम के तहत यह पूरी तरह नियम विरुद्ध है, लेकिन बाजार और सड़कों पर इनका इस्तेमाल खुलेआम जारी है।


