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राजस्थान में यूआईटी और हाउसिंग बोर्ड के अ​धिकार छीने,ट्रांसफर-फर्नीचर खरीद की फाइल भी मंत्री के पास आएगी

राजस्थान में यूआईटी और हाउसिंग बोर्ड के अ​धिकार छीने,ट्रांसफर-फर्नीचर खरीद की फाइल भी मंत्री के पास आएगी
जयपुर। राजस्थान की सभी नगरीय निकाय (यूआईटी, विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड, रेरा) के अधिकार छीन लिए गए हैं। इन निकायों में होने वाले ट्रांसफर और टेंडर समेत दूसरे काम के लिए अब यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की स्वीकृति लेनी होगी। यानी इन लोकल बॉडी में कोई भी काम यूडीएच मंत्री के बिना स्वीकृति के नहीं होंगे।
इसे लेकर बुधवार को यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। इस आदेश के बाद अब इनमें से किसी भी विभाग में अगर 20 लाख रुपए से ज्यादा का फर्नीचर भी खरीदा जाएगा तो उसके लिए मंत्री के स्तर पर फाइल भेजनी पड़ेगी।
इन आदेशों को लेकर चर्चा होने लगी है। ऐसे माना जा रहा है कि मंत्री टॉप टू बॉटम कंट्रोल अपने पास रखना चाहते हैं।
झाबर सिंह खर्रा के इन आदेशों के बाद कई मायने निकाले जा रहे हैं। इन आदेश से साफ है कि इनके अधिकारियों को कंट्रोल में लिया जा रहा है।
अब अधिकारी अपने स्तर पर ट्रांसफर भी नहीं कर पाएंगे
आदेश के अनु़सार, इन सभी निकाय में हर स्तर के अधिकारी से लेकर कर्मचारी के ट्रांसफर के लिए भी मंत्री से स्वीकृति लेनी होगी। अब तक संबंधित अधिकारी के प्रस्ताव पर प्रमुख शासन सचिव को ट्रांसफर का अधिकार था। अब शासन सचिव से भी ये अधिकार छीन लिए गए हैं। अब यूआईटी, विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड और रेरा में ट्रांसफर की फाइल भी मंत्री को भेजनी होगी। मंत्री के स्तर पर अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद ही ट्रांसफर होगा।
इतना ही नहीं हाउसिंग बोर्ड व अन्य यूआईटी, विकास प्राधिकरण में अगर कोई दूसरे विभाग से अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर आता है या जो वर्तमान में कार्य कर रहा है उसकी समयावधि बढ़ानी है तो उसके लिए भी मंत्री के स्तर पर मंजूरी लेनी होगी।
यूआईटी, विकास प्राधिकरण में 4 करोड़ रुपए से ज्यादा का टेंडर मंत्री करेंगे अप्रूव
आदेश में साफ कहा गया है- हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण या यूआईटी में अगर किसी कार्य की निविदा की जाती है और उस कार्य की लागत 4 करोड़ रुपए से ज्यादा है तो उसकी मंजूरी के लिए भी फाइल को मंत्री के स्तर तक भिजवानी होगी। 4 करोड़ रुपए या उससे कम की फाइल को मंजूरी के लिए प्रमुख शासन सचिव यूडीएच को भिजवानी होगी।
इससे पहले इनमें टेंडर की अलग-अलग प्रक्रिया होती थी। एक निर्धारित राशि तक की निविदा का अधिकार यूआईटी में सचिव और बोर्ड में ​कमिश्नर स्तर तक के अधिकारी से अप्रूव कर लेते थे लेकिन नए आदेशों में ऐसा नहीं होगा।
हाउसिंग बोर्ड से पावर छीने, हर टेंडर की फाइल मंत्री के पास भिजवानी होगी
हाउसिंग बोर्ड से अधिकांश अधिकारों को छीप लिया गया है। यहां तक कि हर निविदा यानी 5 लाख का काम भी हाउसिंग बोर्ड बिना मंत्री की स्वीकृति के नहीं करवा पाएगा। हर निविदा की फाइल को मंजूरी के लिए मंत्री के पास प्रस्ताव भिजवाना होगा।
हाउसिंग बोर्ड की बात करें तो वर्तमान में 25 लाख रुपए तक के काम रेजिडेंट इंजीनियर (आरई), 75 लाख रुपए तक के काम के अधिकार डिप्टी हाउसिंग कमिश्नर (डीएचसी), 2.5 करोड़ रुपए तक के काम एडिशनल चीफ इंजीनियर (एसीई), 5 करोड़ रुपए तक की निविदाएं स्वीकृत करने के अधिकार चीफ इंजीनियर के पास और 5 से 10 करोड़ रुपए के काम वर्क कमेटी के पास होते हैं। इससे ज्यादा राशि के टेंडर स्वीकृति के लिए सरकार यानी मंत्री के स्तर पर भिजवाए जाते हैं।
हाउसिंग बोर्ड, रेरा में अध्यक्ष की नियुक्ति के पावर भी अपने पास
हाउसिंग बोर्ड, रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के अधिकार, उनको पद से हटाने या उनके कार्यकाल को बढ़ाने का अधिकार भी मंत्री ने अपने और मुख्यमंत्री के पास रखे हैं। जबकि इन प्रकरणों में अब तक पूरी तरह मुख्यमंत्री स्तर पर ही निर्णय होता है।
विभाग पर टॉप टू बॉटम पूरा कंट्रोल करने की कोशिश
यूडीएच मंत्री के इस आदेश को टॉप टू बॉटम पूरा कंट्रोल करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। जानकार इसे पावर सेंट्रलाइज करने से जोडक़र देख रहे हैं। हर विभाग में मंत्री से लेकर अफसरों के अधिकार तय है। इसके लिए रूल्स ऑफ बिजनेस बने हुए हैं।

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