
62 साल बाद दीपावली पर दुर्लभ योग, जानिए इस बार कब करें लक्ष्मी पूजन






62 साल बाद दीपावली पर दुर्लभ योग, जानिए इस बार कब करें लक्ष्मी पूजन
खुलासा न्यूज़। इस वर्ष दीपावली पर एक दुर्लभ योग बन रहा है, जो 62 साल बाद आया है। सामान्यत: दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है, लेकिन पंचांग और सूर्यास्त के समय में सूक्ष्म अंतर के कारण कई बार देश के विभिन्न हिस्सों में यह पर्व दो दिनों तक मनाया जाता है।
ऐसा पहले वर्ष 1962 और 1963 में भी हुआ था। खास बात यह रही कि 1963 में दीपावली 17 अक्टूबर को थी, जबकि भाईदूज एक माह बाद मनाई गई थी क्योंकि बीच में अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) आ गया था। इतिहास देखें तो 1900 में 23 अक्टूबर और 1901 में 11 नवंबर को भी दीपावली की तिथि में इसी तरह का अंतर रहा। वर्ष 2024 में भी पंचांग मतभेद और सूर्यास्त के समय की वजह से दीपावली कुछ हिस्सों में 31 अक्टूबर और अन्य स्थानों पर 1 नवंबर को मनाई गई थी।
इस बार देश के पंचांगों में भ्रम दूर करने के लिए काशी विद्वत परिषद ने अलग-अलग पंचांगों की गणनाओं के आधार पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया कि 20 अक्टूबर को ही धर्मशास्त्र और परंपराओं के अनुसार दीपावली मनाना उचित है।
बीकानेर के ज्योतिषियों के अनुसार, सभा में नगर के प्रमुख आचार्यगण,पंडितगण एवं संस्कृतप्रेमी सहभागी बनें। कार्यक्रम का उद्देश्य पंचांगीय गणना एवं वैदिक मान्यताओं के आधार पर दीपावली पर्व की यथार्थ तिथि पर प्रकाश डाला और तय किया कि 20 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व शास्त्र सम्मत है। उपस्थित सभी विद्वानों ने अधो लिखित शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर दीपावली 20 अक्टूबर को शास्त्र सम्मत है। सभी का मानना था कि दीपावली का मुख्य कर्म काल प्रदोष काल है,जो कि 20 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रहा है। 20 अक्टूबर को अमावस्या दोपहर 3 बजकर 18 मिनट से प्रारम्भ होंगी जो 21 अक्टूबर को सायं 4 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। 21 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या नहीं होने के कारण 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाना शास्त्र सम्मत है।जहां प्रदोष काल के समय अमावस्या प्राप्त हो रही है उन प्रान्तों में 21 अक्टूबर को भी दीपावली पर्व मनाया जायेगा।

