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राजस्थान के शोएब बने नीट टॉपर, 720 में 720 पाकर रचा इतिहास

कोटा .
राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) के रिजल्ट में कोटा की क्लासरूम कोचिंग के छात्र आफताब शोएब ने सफलता के झंडे गाड़ते हुए पूरे देश को टॉप (AIR-1) किया है। शोएब ने कुल 720 में से 720 अंक हासिल किए। मूल ओडिशा निवासी शोएब ने एक साल तक कोटा में रहकर एलन कॅरियर इंस्टीटूयूट से क्लासरूम कोचिंग ली और एक ही साल में डॉक्टर बनने सपने को अपनी झोली में डाल दिया।

टॉपर : एक नजर
नीट टॉपर- शोएब आफताब राउरकेला (ओडिशा)
पिता : शेख मोहम्मद अब्बास, व्यवसायी
माता : सुल्ताना रिजया, गृहिणी
जन्म दिनांक : 23 मई 2002
कोचिंग : एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट कोटा

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट कोटा के क्लासरूम स्टूडेंट शोएब आफताब ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं। शोएब अपने परिवार में पहला है, जो मेडिकल की पढ़ाई करेगा और डॉक्टर बनेगा।

शोएब ने बताया कि डॉक्टर बनना सपना था जो अब साकार होने जा रहा है। वर्ष 2018 में सिटी कोटा आया और एलन में एडमिशन लिया। यहां मुझे बेस्ट कॉम्पीटिशन मिला और मैंने अपना बेस्ट देने की कोशिश की। मैं कोटा में अपनी मां और छोटी बहन के साथ पीजी में रहता था। इसी वर्ष 12वीं में 95.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। केवीपीवाई में ऑल इंडिया 37वीं रैंक एवं 10वीं में 96.8 प्रतिशत अंक थे। एलन के टीचर्स की गाइडेंस से ही मैंने यह सफलता प्राप्त की है। लॉकडाउन का फायदा यह मिला कि मैं रुका नहीं। मैंने अपनी कमजोरियां दूर की। मैं नीट के सिलेबस में कमजोर टॉपिक्स को बार-बार रिवाइज करता गया। इससे डाउट्स भी सामने आते गए। जो टॉपिक्स मजबूत थे, उन पर ज्यादा फोकस नहीं किया। कोचिंग के दौरान क्लासरूम का होमवर्क डेली करता था और तीनों विषयों को बराबर समय देता था। मैं रोजाना शेड्युल बनाकर पढ़ाई करता हूं, हर सब्जेक्ट को अलग-अलग समय देता हूं। एलन के मोड्यूल्स और वीकली टेस्ट से काफी हेल्प मिली। वाट्सअप का उपयोग फैकल्टीज से डाउट्स आदि पूछने के लिए करता था।

लॉकडाउन में भी घर नहीं गया

शोएब अपने लक्ष्य के प्रति कितने गंभीर हैं यह इस बात से पता चलता है कि एक बार घर से कोटा आने के बाद ढाई साल तक शोएब घर नहीं गया। शोएब ने बताया कि कई मामले आए जब पापा ने कहा घर आ जाओ कुछ दिन, लेकिन मैं नहीं गया। दीपावली व ईद की छुट्टियां भी थी लेकिन मैं कोटा ही रहा और पढ़ाई में व्यवधान नहीं आने दिया। कोराना काल में भी कोटा में ही रहा। लॉकडाउन में भी जब सब घर गए तो मैं यहीं रूका। इससे मेरी तैयारी और अच्छी हो गई। मैंने सारा रिवीजन कर लिया। कोटा से बेहतर आईसोलेटेड फैसिलिटी आपको कहीं नहीं मिल सकती। मम्मी साथ रहती है इसलिए खाने-पीने की परेशानी नहीं आई। वैसे भी बोर्ड एग्जाम के बाद इतना समय नहीं मिल पाता कि नीट के पूरे सिलेबस को रिवाइज कर लिया जाए। इसलिए मैंने लॉकडाउन के 5 महीनों का पूरा उपयोग किया। टॉपिक्स का मल्टीपल रिवीजन किया ताकि कहीं कोई गुंजाइश नहीं रह जाए।

लाइलाज बीमारी का इलाज ढूंढना चाहता हूं

शोएब ने बताया कि एम्स से एमबीबीएस करने के बाद कार्डियोलॉजी में स्पेशलिस्ट बनना चाहता हूं। इसके साथ ही एक और सपना है कि मैं ऐसी बीमारियों का इलाज ढूंढना चाहता हूं जो जिनका इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसी रिसर्च के क्षेत्र में जाना चाहता हूं।

इसलिए बनना चाहता हूं डॉक्टर

शोएब ने बताया कि हमारे मम्मी और पापा दोनों के परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। पिता बिल्डिंग शेख मोहम्मद कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं और बीकॉम तक पढ़े हैं। मां सुल्ताना रिजया गृहिणी हैं और बीए पास हैं। दादा बेकरी चलाया करते थे। मेरी रूचि भी साइंस में थी और मेडिकल क्षेत्र में जाना चाहता थाए पापा भी कहते थे कि मेडिकल की तैयारी करो डॉक्टर बनो तो मैंने बॉयलोजी ली।

बॉयलोजी के साथ-साथ मैथ्स की भी पढ़ाई
शोएब ने बॉयलोजी के साथ-साथ मैथ्स की भी पढ़ाई की। अपनी फिजिक्स और कैमेस्ट्री स्ट्रांग करने के लिए जेईई स्तर की तैयारी की। शोएब ने जेईई-मेंस की परीक्षा भी दी और उसमें 99.7 पर्सेन्टाइल भी हासिल किए। शोएब ने कहा कि जेईई-मेंस देने से मुझमें कान्फीडेंस आया और मैं और अच्छा परफॉर्म कर सका।

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