[t4b-ticker]

राजस्थान में पंचायत चुनावों की खर्च सीमा बढ़ाने की तैयारी — सरपंच अब कर खर्च सकेंगे इतने रूपए

राजस्थान में पंचायत चुनावों की खर्च सीमा बढ़ाने की तैयारी — सरपंच अब कर खर्च सकेंगे इतने रूपए

बीकानेर। राजस्थान में होने वाले आगामी पंचायती राज चुनावों से पहले राज्य निर्वाचन आयोग बड़ी तैयारी में जुट गया है। सूत्रों के अनुसार, चुनावी खर्च सीमा में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो पंच, सरपंच और जिला परिषद सदस्यों के उम्मीदवार अब पहले से ज्यादा खर्च कर सकेंगे। वर्तमान में सरपंच प्रत्याशी के लिए चुनावी खर्च सीमा ₹50,000 है, जिसे अब बढ़ाकर ₹55,000 करने पर विचार किया जा रहा है। वहीं जिला परिषद सदस्य के लिए यह सीमा ₹1 लाख 65 हजार रुपए तक हो सकती है। गौरतलब है कि पिछली बार 2019 में पंचायत चुनावों के दौरान खर्च सीमा दोगुनी की गई थी। अब छह साल बाद एक बार फिर इसमें बढ़ोतरी की तैयारी की जा रही है।

राज्य में पंचायत चुनाव की खर्च सीमा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित की जाती है। उम्मीदवार आयोग द्वारा तय सीमा से अधिक खर्च नहीं कर सकते। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “महंगाई को देखते हुए समय-समय पर खर्च सीमा बढ़ाई जाती रही है। वर्तमान समय में खर्च बढ़ने के चलते प्रत्याशियों की मांग भी बढ़ी है। यदि सीमा नहीं बढ़ाई जाती तो उम्मीदवारों द्वारा धनबल का प्रयोग करने की संभावना बढ़ जाती है।” इसलिए आयोग चाहता है कि खर्च सीमा को बढ़ाकर चुनाव को पारदर्शी और नियंत्रित बनाया जाए।

जमानत राशि भी हो सकती है दोगुनी

सूत्रों के अनुसार, इस बार केवल खर्च सीमा ही नहीं, बल्कि जमानत राशि में भी बढ़ोतरी की संभावना है। फिलहाल सरपंच पद के लिए जमानत राशि ₹500 तय है, जबकि महिला, ओबीसी, एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए यह ₹250 है। अब संभावना जताई जा रही है कि इस राशि को दोगुना किया जा सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, प्रत्येक प्रत्याशी को अपने चुनावी खर्च का ब्योरा 30 दिन के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी को देना होता है। उम्मीदवार को चुनावी व्यय का नकद रजिस्टर, बैंक रजिस्टर और शपथपत्र प्रस्तुत करना होता है। निर्धारित समय में खर्च का विवरण जमा नहीं करने पर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

चुनाव प्रचार सामग्री, रैलियों, वाहनों, पोस्टर-बैनर, ध्वनि उपकरणों, सभा आयोजन और भोजन-पानी की व्यवस्था पर होने वाला खर्च चुनावी व्यय में शामिल किया जाता है। आचार संहिता लागू होने के बाद से लेकर मतगणना तक की सभी गतिविधियों का खर्च प्रत्याशी के खर्च खाते में जोड़ा जाता है। राजस्थान में पहली बार “वन स्टेट, वन इलेक्शन” के तहत पंचायत चुनाव कराने की तैयारी चल रही है। इन चुनावों में पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, प्रधान, उप प्रधान, जिला प्रमुख और उप जिला प्रमुख के पदों पर मतदान होगा। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने संकेत दिए हैं कि फरवरी 2026 में चुनाव कराए जा सकते हैं।

राजस्थान के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश ने हाल ही में पंचायत चुनावों में खर्च सीमा बढ़ाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। वहां ग्राम प्रधान ₹1.25 लाख, क्षेत्र पंचायत सदस्य ₹1 लाख और जिला पंचायत सदस्य ₹2.5 लाख तक खर्च कर सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि “लोकतांत्रिक देश में निर्णय जनता और जनप्रतिनिधियों की मांग के आधार पर होते हैं। आयोग द्वारा खर्च सीमा बढ़ाना महंगाई और चुनावी पारदर्शिता दोनों दृष्टि से उचित कदम होगा।”

Join Whatsapp