
राजस्थान संकट:वर्तमान राजनैतिक हालात में आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा ?






बीकानेर। पिछले चौदह से दिनों से सता के संग्राम के हालात बने हुए है। जिससे राज्य में विकट हालात बने हुए है। लेकिन जो भी राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है। उसके लिये आखिर दोषी कौन है। जनता या राजनेता। इस ऊहापोह की स्थिति की कुर्सी पाने या बचाने के लिए राजनेता कुछ भी कर सकते हैं। जनता मरे या जिये इससे इन लोगों को कोई मतलब नहीं है। आज आमजन में यह प्रश्न चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या बागी विधायकों द्वारा जनता के द्वारा चुनी सरकार को गिराने के आरोप में पार्टी से निकालना सही है। विधायक तो जनता चुनती है। क्या उसकी राय या भावनाओं का कोई मोल नहीं है। अगर देखा जाएं तो राजा महाराजाओं के राज में ओर आज के राज में क्या फर्क है? मुझे तो कोई फर्क नहीं दिख रहा। आज के राजनीतिक हालातों को देखकर ऐसा लगता है कि अपनी भावनाओं को मुखिया के सामने बोलना गुनाह है। तो फिर राजतंत्र और लोकतंत्र में क्या अंतर है। सता प्राप्ति के इस खेल में जनता की भावनाओं के साथ हमेशा ही खेला जाता रहा है। जरूरत इस बात की है कि इस प्रकार के घटनाक्रम के चलते संविधान में गंभीरता से मंथन किया जाएं। और इस बात को भी जनता को भी तय करना होगा कि किसी भी राज्य या देश में अल्पमत की सरकारें बनने में अपना योगदान न दें। इस अस्थिरता की वजह से ही ऐसे हालातों का सामना आज आमजन को करना पड़ रहा है। राजस्थान के वर्तमान स्थितियों में संवैधानिक पटाक्षेप क्या होगा,यह ऊंट किस करवट बैठेगा? यह तो आने वाला समय बताएगा।
विचारक
भवानी सिंह भाटी,गांव- लमाणा भाटीयान,कोलायत बीकानेर


