नोखा विधानसभा: विकास, युवा या सहानुभूति, किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा

नोखा विधानसभा: विकास, युवा या सहानुभूति, किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा

-पत्रकार कुशालसिंह मेडतियां की खास रिपोर्ट

बीकानेर। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई है। प्रत्याशी घर-घर जनसंपर्क में जुटे हुए हैं। बात की जाए नोखा विधानसभा की तो यहां से अभी त्रिकोणीय संघर्ष नजर आ रहा है। लोग यह कयास लगा रहे है की रामेश्वर डूडी की पत्नी सुशीला डूडी अगर चुनाव जीतती है तो सहानुभूति के वोट कहीं ना कहीं मिलेंगे। लेकिन यहां पर सहानुभूति का सहारा ले उससे पहले कन्हैया लाल झंवर और बिहारीलाल बिश्नोई भी मैदान में है। दोनों ही नेता ऐसे हैं जो अपने काम के लिए जाने जाते हैं। पुरानी बात अगर की जाए तो यहां पर झंवर का दबदबा रहा है, क्योंकि वह काफी लंबे समय से यहां पर सक्रिय है और विधायक भी रह चुके हैं। वहीं बात बिहारीलाल बिश्नोई की बात की जाए तो वह पिछले पांच साल से यहां से विधायक है। उन्होंने यहां की हर समस्याओं को विधानसभा में भी उठाया। अब देखना होगा कि नोखा की जनता किसे वोट करेगी। सहानुभूति, विकास या उन नेता को जो लगातार उनके क्षेत्र के लिए सक्रिय युवा है। हालांकि कहीं ना कहीं देवी सिंह भाटी की भाजपा में वापसी से बिहार बिश्नोई को मजबूती मिली है।

 

क्योंकि भाटी के कंधों पर यह जिम्मेदारी जरूर होगी कि वह पूर्व विधानसभा हो चाहे नोखा विधानसभा हो या लुणकनसर, डूंगरगढ़ विधानसभा इन सभी विधानसभाओं में पार्टी का राजपूत वोटरों पर दबदबा है। बिहारी ने भी अंशुमान सिंह के नामांकन में जाकर कहीं ना कहीं एकजुटता दिखाने की कोशिश की है और साथ ही अर्जुन नाम मेघवाल से भी अब मनमुटाव खत्म हो चुका है। बिहार बिश्नोई के साथ भी आने वाला समय और वक्त बताएगा कि वोट सहानुभूति को मिलते हैं या विकास को या फिर ऐसे युवा को तो पिछले कार्यकाल में भी जो है विकास कर चुका है और लगातार अपनी विधानसभा के लिए विधानसभा में सबसे ज्यादा उपस्थिति दर्ज कराकर अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाएं। राजनीति का यह ऊंट किसी और करवट लेगा फिलहाल कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन नोखा विधानसभा जिसे कहा जाता है कि अनोखा।

 

रामेश्वर डूडी के बाद कोई भी ऐसा व्यक्ति उनके परिवार से या उनके क्षेत्र से नहीं है जो आम जन तक उनकी बात रख सके या उनकी छवि को बना सके। डूडी परिवार के लिए यहां पर यह सबसे बड़ी समस्या होगी क्योंकि अगर बात की जाए चाहे डूडी के करीबी रहे महेंद्र गहलोत तो उनकी भी विधानसभा में कोई खास सक्रियता नहीं है ना उनके वोटरों में पकड़ है। अगर नोखा में कोई सक्रिय कार्य करता है तो जसरसर के सरपंच रामनिवास तर्ड है, जो ज़रूर नोखा में अपना दबदबा रखते हैं और कहीं ना कहीं डूडी परिवार के लिए वह दिन-रात लगे हुए हैं। कुछ समय समय पूर्व हुए मुख्यमंत्री के प्रोग्राम भी जसरासर में हुए थे।

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