
कोलयत चुनाव में मुकाबला हुआ त्रिकोणीय, जाने क्या कहता है सियासी गणित






कोलयत चुनाव में मुकाबला हुआ त्रिकोणीय, जाने क्या कहता है सियासी गणित
खुलासा न्यूज, बीकानेर। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे ही प्रत्याशियों में जोश बढ़ता जा रहा है। हर प्रत्याशी अपनी एडी से चोटी का जोर लगा रहा है कि किसी भी वोटर से संपर्क करना ना छूट जाए। आज हम आज हम बात कर रहे हैं कोलायत विधानसभा की जो कि सात विधानसभा में सबसे चर्चित विधानसभा है, क्योंकि यहां पर इस समय कांग्रेस से तीसरी बार पूर्व मंत्री भंवर सिंह भाटी तो वहीं भाजपा से देवी सिंह भाटी के पौत्र अंशुमान सिंह भाटी मैदान में है और साथ ही आरएलपी से रेंवतराम पंवार मैदान में है। पिछले किसी भी चुनाव की अगर बात की जाए तो यहां पर मुकाबला हमेशा भाजपा और कांग्रेस में सीधा रहा है। एक बार देवी सिंह भाटी सामाजिक न्याय मंच से चुनाव लड़े थे और जीते थे। अधिकतर यहां पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होता है। परिसीमन के बाद देवीसिंह भाटी एक चुनाव जरूर जीते लेकिन इसके बाद उनको यहां से हार का सामना करना पड़ा था। पिछले दो चुनाव लगातार भंवर सिंह भाटी जीत चुके हैं। पिछले चुनाव में भाटी की पुत्रवधु पूनम कंवर भी यहां से चुनाव हारी थी। अब पार्टी ने युवा चेहरे के तौर पर अंशुमान सिंह भाटी को भाजपा से टिकट दिया है। कोलायत विधानसभा का चुनाव इस बार इसलिए रोमांचक हो गया है, क्योंकि यहां पर आरएलपी ने सबसे बड़ा दाव खेला है, यहां पर दलित समाज से रेंवत राम पंवार को उतार के मुकाबला को त्रिकोणीय कर दिया है। यह मुकाबला इसलिए त्रिकोणीय माना जा रहा है क्योंकि यहां पर दलित समाज के सबसे ज्यादा वोट है, अगर देवी सिंह भाटी की बात की जाए तो राजपूत समाज का एक बड़ा तबका पार्टी के साथ नजर आ रहा है। तो वही पिछले दो चुनाव में जाट जाति मुस्लिम समुदाय और दलित समाज के ज्यादातर वोट भंवर सिंह को मिले थे। रेंवत राम पंवार की बात की जाए तो दलित समाज और जाटों के वोटों का ध्रुवीकरण करने में पंवार, हनुमान बेनीवाल और चंद्रशेखर अगर कामयाब हो जाते हैं तो यह सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच सिरदर्द बन सकती है। क्योंकि दलित और जाट समाज के वोट लेने में अगर रेवंत राम कामयाब हुए तो कोलायत का नजारा कुछ और ही होगा। ऐसे में भंवर सिंह भाटी को खतरा हो सकता है, लेकिन भंवर सिंह अब राजनीति में मंजे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं। इसलिए वे किसी न किसी तरीके से यह प्रयास करेंगे की इन वोटों का धु्रवीकरण ना हो लेकिन जिस तरीके से रेवंत राम पंवार चुनाव मैदान में डटे हैं उसे तरीके से लग रहा है कि इस बार दलित समाज के वोट डाइवर्ट हो सकते हैं। अगर ऐसा करने में कामयाब हुए तो पहली बार किसी होगा जब इस सीट पर राजपुरत के अलावा कोई ओर कामयाब हो सकता है। आने वाले दिन ही बताएंगे की कोलायत की राजनीति का ऊंट किस और करवट लेगा। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा की रेवंतराम के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।


