
‘आप’ की एंट्री से भाजपा-कांग्रेस में खलबली! जानें बीकानेर संभाग में क्या बन रही दिलचस्प स्थिति?






राज्य में किसी भी दल की सरकार रही हो, लेकिन बीकानेर संभाग राजनीतिक बिसात पर अलग चालें चलता रहा है। यहां की राजनीति प्रदेश के दूसरे हिस्सों से कई मायनों में बिल्कुल अलग है। पिछली बार प्रदेश में भले ही कांग्रेस आगे रही हो, लेकिन मुकाबला कांटे का रहा था। इस बार एक दूसरे को मात देने की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दल धोरों के लिए अलग रणनीति बनाने में जुटे हैं। सही मायनों में यही वह इलाका है, जहां कुछ सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार दिखाई दे रहे हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बीकानेर में भाजपा के प्रचार का श्रीगणेश कर चुके हैं। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में आम आदमी पार्टी भी पैर पसार रही है। यहां पंजाब का असर दिख रहा है। इस क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की रैली हो चुकी है। पिछले चुनाव में दो सीटें जीतने वाली माकपा भी दम ठोके हुए है। ऐसे में ‘आप’ व माकपा ने कांग्रेस और भाजपा के समीकरणों को उलझा दिया है। ऐसे में इस बार कांग्रेस और भाजपा को अपनी सीटों को बचाए रखने के साथ आम आदमी पार्टी की एंट्री रोकने के लिए भी मशक्कत करनी होगी। भाजपा की ओर से बीकानेर संभाग में भी परिवर्तन यात्रा का आगाज किया जा चुका है। इससे भाजपा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेगी। इस बार श्रीगंगानगर से अनूपगढ़ को अलग करके नया जिला बनाया गया है। कांग्रेस इसका श्रेय लेकर सियासी लाभ लेने का प्रयास कर रही है। संभाग की खाजूवाला सीट से विधायक गोविंदराम मेघवाल और बीकानेर पश्चिम के विधायक बी.डी. कल्ला अभी सरकार में मंत्री हैं। ये भी यहां जोर लगा रहे हैं। यहां सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। बीकानेर सांसद अर्जुन मेघवाल को भाजपा ने संकल्प पत्र समिति की अहम जिम्मेदारी दी है। वे इन दिनों पूरे राज्य में सक्रिय हैं। विधानसभ चुनाव 2018 में कांग्रेस ने भाजपा से एक सीट ज्यादा जीती। यहां भाजपा को 24 में से 10 सीटें और कांग्रेस को 11 सीटें मिली। चुनावी इतिहास के अनुसार इस संभाग के मतदाता किसी दल की हवा के साथ नहीं चलते। संभाग के चूरू, हनुमानगढ़, बीकानेर और श्रीगंगानगर जिले के मतदाताओं के मन की बात पता करना किसी भी दल के लिए आसान काम नहीं है। इस संभाग में पिछले चुनावों में कई सीटों पर निर्दलीय और अन्य दलों के प्रत्याशी भी जीते हैं। वर्ष 2003 के चुनाव में 22 में से 10 भाजपा ने और 7 सीटें कांग्रेस ने जीती। 2008 में भाजपा और कांग्रेस ने 24 में से 10-10 सीटें जीती। 2013 के चुनाव में भाजपा ने 24 में से 17 और कांग्रेस 3 सीटों पर ही सिमट गई।


