समलैंगिक शादी के खिलाफ राजस्थान, मान्यता दी तो बिगड़ जाएगी सामाजिक व्यवस्था

समलैंगिक शादी के खिलाफ राजस्थान, मान्यता दी तो बिगड़ जाएगी सामाजिक व्यवस्था

जयपुर। सेम सेक्स मैरिज को लेकर केन्द्र सरकार की चि_ी के जवाब में राजस्थान सरकार ने मान्यता देने का विरोध जताया है। केन्द्र ने इस मुद्दे पर सभी राज्यों को चि_ी लिखी थी।
इनमें से 7 राज्यों ने अपना जवाब दिया है। जवाब देने वाले 7 राज्यों में राजस्थान अकेला है, जिसने समलैंगिक शादी को पब्लिक सेंटीमेंट्स के खिलाफ बताया है। सरकार ने अपने जवाब में धर्म और कानून सहित 6 तर्क दिए हैं।
इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने मान्यता दिए जाने पर इससे सामजिक व्यवस्था बिगडऩे की बात भी कही है। हालांकि राजस्थान व आंध्रप्रदेश को छोडक़र मणिपुर, यूपी, महाराष्ट्र, सिक्किम ने इस मुद्दे पर बहस की जरुरत बताई है।
वहीं, असम सरकार का रुख भी सेम सेक्स मैरिज के खिलाफ है, लेकिन उसने अपने जवाब में इसे स्पष्ट करने के लिए थोड़ा और समय दिए जाने की मांग की है
सेम सैक्स मैरिज पर राजस्थान सरकार के इस नजरिये को लेकर सीनियर एडवोकेट अखिल चौधरी ने कई सवाल उठाए हैं।
उनका कहना है कि इस संवेदनशील मामले में राजस्थान सरकार ने जल्दबाजी में अपना जवाब भेज दिया है। जवाब भेजने से पहले याचिकाकर्ताओं और समलैंगिक विवाह के पक्षधरों से न कोई चर्चा की गई और न ही उनका पक्ष जाना गया।
हिन्दू विवाह अधिनियम में विपरीत लिंग की शादी ही लीगल
राजस्थान सरकार की तरफ से प्रमुख शासन सचिव (लीगल) ज्ञान प्रकाश गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘हिन्दू विवाह एक्ट की धारा 5 में शादी की आवश्यक शर्तों के बारे में लिखा है कि ‘वर एवं वधु के मध्य एक वैवाहिक अनुष्ठान तभी वैध मना जाएगा जब वर की आयु 21 साल और वधु की आयु 18 साल हो’ , इससे ये क्लियर है कि विवाह वर और वधु मतलब दो विपरीत लिंग (अपोजिट सेक्स) वालों के मध्य ही लीगल माना जाता है। वहीं इसके अलावा भी हिन्दू धर्म में विवाह एक संस्कार माना गया है।

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