पुरोहित ने बनाया एक इन्च में साफा-पाग-पगड़ी के विश्व रिकॉर्ड - Khulasa Online पुरोहित ने बनाया एक इन्च में साफा-पाग-पगड़ी के विश्व रिकॉर्ड - Khulasa Online

पुरोहित ने बनाया एक इन्च में साफा-पाग-पगड़ी के विश्व रिकॉर्ड

खुलासा न्यूज,बीकानेर। राजस्थानी साफा-पाग, पगड़ी कला संस्कृति द्वारा धरणीधर ओटोडोरियम में मंगलवार को जल एवं उर्जा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिक एवं कला संस्कृति मंत्री डॉ बुलाकी दास कल्ला ने कृष्णचन्द पुरोहित (शिक्षाविद) को सम्मानित किया। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि लोकायान संस्था के संस्थापक कृष्णचन्द शर्मा, अति विशिष्ठ अतिथि अन्तर्राष्टीय चित्रकार महावीर स्वामी व अध्यक्षता समाज सेवी गोपाल सिंह थे। पुरोहित ने एक इंच में साफ ा-पाग, पगड़ी का विश्व रिकार्ड बनाया जिसमें उन्होंने कई तरह के विश्व रिकार्ड व राष्ट्रीय रिकार्ड भी बनाये है जिसमें मुख्य रूप से माचिस तुलिका पर पगड़ी बान्धना पेंसिल पर पगड़ी बान्धना हाथों की अंगुली पर पगड़ी बान्धना और विश्व की सबसे बड़ी माहेश्वरी पाग बान्धकर अनूठा रिकार्ड बनाया। साफा-पाग-पगड़ी के विशेषज्ञ कृष्णचन्द्र पुरोहित (शिक्षाविद) को छ: विश्व रिकॉड प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया। मोहित पुरोहित ने गणेश वन्दना के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की।
साफा-पाग-पगड़ी विशेषज्ञ कृष्णचन्द्र पुरोहित (शिक्षाविद) ने पुष्करणा स्टेडियम के पीछे स्थित राजस्थानी साफ ा-पाग-पगड़ी व कला संस्कृति संस्थान, बीकानेर कार्यालय में फ रवरी-मार्च, 2020 के महिने में सबसे छोटी पगड़ी पैंसिल पर, माचिस की तुल्ली पर, हाथों की अंगुलियों पर और सबसे बड़ी पगड़ी माहेश्वरी पाग बांधकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया।
मुख्य अतिथि डॉ. बुलाकी दास कल्ला ने कहा कि राजस्थान सम्पूर्ण राष्ट्र में अपने संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के लिए पहचाना जाता है, जिसमें बीकानेर के लोग रंगीन मिजाज के होते है। यहां पर सादगी के साथ-साथ अपनेपन का भी अहसास दिलाते है। राजस्थान के बीकानेर जिले में समाज के कुछ वर्गों में साफा-पाग-पगड़ी पहनने का रिवाज है। पगड़ी का इस्तेमाल हमारे देश में सदियों से होता आया है। प्राचीन काल में भी पगड़ी को व्यक्तिगत आन-बान-शान और हैसियत का प्रतिक माना जाता रहा है। पगड़ी हमारे देश में आज भी इज्जत का परिचायक समझा जाता है। पगड़ी मनुष्य की पहचान करवाती है कि वह किस जाति-धर्म-सम्प्रदाय-परगना एवं आर्थिक स्तर का है।विशिष्ट अतिथि कृष्णचन्द शर्मा ने कहा कि घर की कुशलता का संदेश भी पगड़ी का रंग देती है। मारवाड़ में तो साफा-पाग-पगड़ी का रिवाज आदिकाल से प्रचलित है।
अतिविशिष्ट अतिथि महावीर स्वामी ने कहा कि राजस्थान में साफ ा-पाग-पगड़ी के रंगों में, बांधने के ढंग में व पगड़ी के कपड़े में विभिन्नता होती है। साफ ा बांधने की कसावट से पता चल जाता है कि व्यक्ति कैसा है ? बीकानेर में कृष्णचन्द्र पुरोहित ने एक साथ छ: विश्व रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रचा है,जो बीकानेर के लिये गौरव की बात है।
अध्यक्षता करते हुए गोपाल सिंह ने बताया कि कला का सम्मान घर में पहले होना चाहिए। बीकानेर अपने आप में पुरोहित के लिए घर है अर्थात घर में व्यक्ति का सम्मान होगा तो बाहर सम्मान अवश्य होगा।
संचालन योग गुरु हितेन्द्र मारू ने किया। विमल किशोर व्यास ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में हरिशंकर आचार्य, रामेश्वर स्वामी, गौरीशंकर व्यास, महेश छंगाणी, भुवनेश पुरोहित, तेजाराम जी, विक्रमसिंह जी राजपुरोहित, श्याम सुन्दर किराडू, महेश पुरोहित, संजय स्वामी, आदित्य पुरोहित आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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