
दीपावली अवकाश रद्द करने पर शुरू हुआ विरोध,शिक्षक संगठनों ने जताई नाराजगी






खुलासा न्यूज,बीकानेर। कोरोना के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई खराब होने का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग ने इस बार दीपावली पर होने वाले अवकाश का रद्द करने पर विरोध के स्वर मुखर होने लगे है। इसको लेकर शिक्षक संगठनों ने नाराजगी जताते हुए विरोध दर्ज करवाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। सोशल मीडिया पर भी शिक्षक सरकार के इस निर्णय का जमकर विरोध कर रहे हैंं। राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मिड टर्म वेकेशन पर लगी रोक हटाने की मांग की है। संघ के प्रदेश पदाधिकारी रवि आचार्य ने इन आदेशों को तुगलकी करार देते हुए कहा है कि सरकार इस आदेश को वापस नहीं लेगी तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जायेगा। मध्यावधि अवकाश सहित अन्य अवकाश निरस्त किए हैं। उक्त आदेश का राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) पुरजोर विरोध करता हैं। जिलाध्यक्ष आनंद पारीक का कहना है कि महाविद्यालयों हेतु अभी हाल ही में मध्यावधि अवकाश घोषित किए गए हैं तो ऐसी स्थिति में विद्यालयों में अवकाश निरस्त करना अनुचित है। ये सरकार का मनमानी करने वाला फरमान है संगठन इसकी घोर निन्दा कर विरोध करता हैं। राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील)महामंत्री यतीश वर्मा का कहना है कि संगठन अतिशीघ्र ही प्रदेश नेतृत्व से परामर्श कर उचित निर्णय क र,इस हेतु आगामी कदम उठाएगा। दरअसल, हर साल बारह से पंद्रह दिन तक शिक्षकों व विद्यार्थियों को दीपावली की छुट्टियों के नाम पर अवकाश मिलता है। इसे सरकारी रिकार्ड में दीपावली अवकाश नहीं बल्कि मिड टर्म वेकेशन कहा गया है। इस बार माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने एक आदेश जारी करके मिड टर्म वेकेशन रद्द कर दिया। इतना ही नहीं शैक्षिक सम्मेलन के नाम पर मिलने वाली चार छुट्टियां भी रद्द हो गई है। प्रिंसिपल पॉवर भी अब छुट्टी के मामले में नहीं चलेगा।
ये है शिक्षकों का तर्क
अधिकांश शिक्षक संगठनों का कहना है कि कोरोना जब शुरू हुआ था, तब से अब तक वो ड्यूटी कर रहे हैं। टीचर्स को पहले वार्ड में भोजन सामग्री वितरण में लगा दिया गया, बाद में वैक्सीनेशन में भी गांव-गांव शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई। इस बीच कई पंचायतों व विधानसभा चुनावों में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगी। इस बीच अब कोरोना खत्म होने के बाद अवकाश का समय आया तो सरकार ने इस पर रोक लगा दी। प्रिंसिपल पॉवर की छुट्टी खत्म करने का टीचर्स अपमान बता रहे हैं।
लगातार पढ़ाया भी है
शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने कोरोना दौर में घर घर जाकर सरकार के आदेश पर बच्चों को पढ़ाया। जिसका रिकार्ड स्कूल में बोल रहा है कि पढ़ाई कराई गई। इसी का परिणाम है कि आज प्राइवेट के बजाय सरकारी स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इसका पुरस्कार देने के बजाय शिक्षा विभाग प्रताडि़त कर रहा है।


