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औषधीय गुणों का भंडार है ये जंगली पौधा, बीज से रोटी और फूल से बनती है रजाई, कई बीमारियों में फायदेमंद

रेगिस्तान में कई ऐसे पौधे है जिन पर लोग पहले पूरी तरह निर्भर रहते थे और कुछ पौधों पर लोग आज भी निर्भर है. ऐसे में थार रेगिस्तान में उगने वाला बुई नाम का पौधा है, जिसका सीजन पूरे साल रहता है. यानी यह पूरे साल उगता रहता है. इस बुई के पौधे के पत्तों से लेकर जड़ सभी लोगों के लिए काफी फायदेमंद है. आमतौर पर पेड़ो से फल और फूल निकलते हैं, लेकिन बीकानेर के रेतीले इलाकों में उगने वाला यह बुई पौधे से रूई और बीज निकलते हैं. इस पौधे को कई लोग जंगली रूई और जंगली पौधे के नाम से जानते हैं. इस पौधे की पत्ती और रूई को पशु भी खाते हैं. खासतौर ऊंट इस पौधे की रूई को खाना ज्यादा पसंद करते है.

ग्रामीण रामलाल कुम्हार ने बताया कि यह बुई नाम का पौधा है और यह खेतों और धोरों में खुद उग जाता है. इस पेड़ में पत्ते आने के बाद कुछ दिन में फूल आ जाते हैं, इस फूल में बीज होते है. इस बीज से पहले लोग रोटी बना लेते थे. गेंहू का आटा लेकर इसमें बुई के बीज डाल लेते थे. इसके बाद रोटी को सेक कर खाते थे. इसके अलावा इस पौधे पर रुई की तरह फूल खिलते है. जिससे लोग अपने अपने बिस्तर और रजाई बनाकर काम में लेते थे.

कई बीमारियों में फायदेमंद
लेकिन अब लोगों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया है. क्योंकि इसमें मेहनत बहुत ज्यादा लगती है. हालांकि, आज भी इस पौधे की रूई और बीज से रोटी और रजाई और बिस्तर बन सकते हैं. यह पौधा बारिश होने पर उगता है और ज्यादा सर्दी होने पर यह पौधा खराब हो जाता है. ज्यादा सर्दी यह पौधा सहन नहीं कर सकता है. इस पौधे की खासियत है कि इसका बीज खत्म नहीं होता है और अपने आप आगे से आगे लगता रहता है. इस पौधे का सीजन पूरे साल रहता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर निधि मिश्रा कहना है कि इस पौधे के पत्ते के भी कई फायदे है.

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