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इंटरनेट और कॉलिंग सस्ता करने की तैयारी

इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं के मामले में भारत दुनिया के सबसे सस्ते देशों में से एक है। ज्और फिलहाल ये सेवाएं यूं ही सस्ती बने रहने और भी सस्ती होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
टेलीकॉम कंपनियां लगातार बढ़ती महंगाई, महंगे स्पेक्ट्रम या ज्यादा लाइसेंस फीस का हवाला देकर टैरिफ बढ़ाने की बात करती रही हैं। 2021 में कंपनियों ने 20-25त्न टैरिफ बढ़ाया भी था।
2022 में भी कंपनियां टैरिफ बढ़ाने की बात करती रही हैं। पहले माना जा रहा था कि नवंबर में कंपनियां 10-15त्न टैरिफ बढ़ा सकती हैं, मगर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। अब उम्मीद इस बात की है कि टैरिफ न बढ़ाया जाए।
दरअसल, कंपनियों के खर्च का एक बड़ा हिस्सा एनुअल लाइसेंस फीस है। फिलहाल कंपनियों को अपने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (्रत्रक्र) का 8प्रतिशत हर साल बतौर लाइसेंस फीस देना होता है। मगर नए टेलीकॉम बिल में सरकार यह लाइसेंस फीस घटा सकती है।
दूरसंचार मंत्रालय टेलीकॉम बिल के पहले ड्राफ्ट की वजह से पहले ही विवादों में घिरा था। इस ड्राफ्ट पर 20 नवंबर तक 900 आपत्तियां आ चुकी थीं। अब माना जा रहा है कि दिसंबर के अंत तक सरकार संशोधित ड्राफ्ट पेश कर सकती है, जिसमें लाइसेंस फीस भी ्रत्रक्र के 8त्न से घटाकर 5-6त्न तक की जा सकती है।
नए टेलीकॉम बिल से टेलीकॉम कंपनियों को कितना फायदा होगा और ये फायदा आम आदमी तक कितना पहुंच सकता है।

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