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राजनीतिक आधार पर नई पंचायती राज संस्थाएं बनाने और पुनर्गठन के आसार, शिक्षा मंत्री दिलावर के संयोजन में कमेटी बनाई

खुलासा न्यूज नेटवर्क। राज्य सरकार ने पंचायत समिति और जिला परिषदों के पुनर्गठन के लिए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के संयोजन में कैबिनेट सब कमेटी बनाई है। यह कमेटी मापदंड पूरा नहीं करने पर भी नई पंचायती राज संस्थाएं बनाने की सिफारिश करेगी। कमेटी कम जनसंख्या वाले गांव को ग्राम पंचायत बनाने की सिफारिश भी कर सकेगी। साथ ही कैबिनेट सब कमेटी मापदंड पूरा नहीं करने वाली पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन को भी मंजूरी दे सकेगी। मंत्रिमंडल सचिवालय से जारी आदेशों के अनुसार कैबिनेट सब कमेटी दो प्रमुख काम करेगी। कलेक्टरों और जनप्रतिनिधियों से ऐसे प्रस्ताव, जिनके जनसंख्या और दूरी के मापदंड पूरे नहीं होते, लेकिन जनता की सुविधा और प्रशासनिक दृष्टिकोण से नई पंचायत पंचायत समिति बनाना जहां जरूरी होगा, वहां मंत्रियों की कमेटी मापदंडों में छूट देकर नई पंचायती राज संस्था बनाने की सिफारिश करेगी।

जनहित और प्रशासनिक औचित्य नहीं तो प्रस्ताव खारिज

कैबिनेट सब कमेटी कलेक्टरों से पुनर्गठन के प्रस्ताव का परीक्षण करेगी। अगर किसी प्रस्ताव में कोई जगह जनसंख्या और दूरी के मापदंड पूरी करती हो, लेकिन उसमें जनहित नहीं हो और प्रशासनिक औचित्य नहीं हो तो ऐसे प्रस्ताव को कैबिनेट सब कमेटी खारिज करेगी।

पांच मंत्रियों की कमेटी सीएम को देगी रिपोर्ट

पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन के लिए बनी कैबिनेट सब कमेटी में शिक्षा और पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर को संयोजक बनाया गया है। कमेटी में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत, खाद्य मंत्री सुमित गोदारा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम सदस्य बनाए गए हैं। यह कमेटी अपनी सिफारिश मुख्यमंत्री को सौंपेगी और उसके बाद प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का काम आगे बढ़ेगा।

राजनीतिक आधार पर नई पंचायती राज संस्थाएं बनाने और पुनर्गठन के आसार

पंचायत पुनर्गठन में अब सियासी आधार पर फैसला होने के पूरे आसार हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक सत्ताधारी पार्टी के फायदे के हिसाब से नई पंचायती राज संस्थाओं के गठन पर फोकस रहेगा। पिछले कांग्रेस राज के दौरान भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिसे सत्ताधारी पार्टी को फायदा हो। कैबिनेट सब कमेटी गठित करने के आदेश में जो कुछ लिखा हुआ है, उस राजनीतिक आधार पर ही नई पंचायती राज संस्थाओं के गठन में मापदंडों में भरपूर छूट दिए जाने का इशारा किया गया है।

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