पुलिस खुद डिप्रेशन में, आखिर कैसे रुकेंगे आत्महत्या के मामले

पुलिस खुद डिप्रेशन में, आखिर कैसे रुकेंगे आत्महत्या के मामले

पुलिस खुद डिप्रेशन में, आखिर कैसे रुकेंगे आत्महत्या के मामले

बीकानेर। जीवन की भागदौड़, अपेक्षाएं और उपेक्षाएं हर आयु वर्ग के लोगों को डिप्रेशन की ओर ले जा रही हैं। इससे हर कई लोग प्रभावित भी हो रहे है। कुछ लोग इससे निपटने के तरीके खोजते हैं, जबकि कुछ आत्महत्या जैसे खतरनाक विचारों की ओर आकर्षित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और यह एक वैश्विक चुनौती बन चुकी है। जानकारों के अनुसार आज के समय में नेगेटिविटी की सबसे बड़ी वजह बन रहा है। पुलिस की ओर से भी आत्महत्या को रोकने के प्रयास किए जाते रहे है। लेकिन इसके बावजूद हर रोज आत्महत्या की खबर सामने आ रही है। इनमे युवा वर्ग से लेकर बड़ी आयु के लोग शामिल है। पिछले कुछ समय की ही बात करें तो बीकानेर में ही सामूहिक आत्महत्या जैसे मामले भी सामने आ चुके है। पुलिस की और से हेल्पलाइन जैसे नंबर भी जारी किए गए है। लेकिन इसके बावजूद आत्महत्या के मामलों में कमी आने के बजाय बढ़ोतरी ही हुई है। बीती रात नोखा थाने के कॉन्स्टेबल विकास मीणा ने सुसाइड का प्रयास किया। पुलिसकर्मियों ने तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन देर रात उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। कॉन्स्टेबल ड्यूटी समाप्त कर घर पहुंचे। घर पहुंचते ही उन्होंने बिजली के तार से फंदा बनाकर कमरे में फंदा लगा लिया।

इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आते रहे है। करीब 11 महीने पहले मुक्ताप्रसाद नगर पुलिस थाने के कांस्टेबल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जनवरी 2024 में भी इसी तरह का एक मामला सामने आ चुका है। आत्महत्या को रोकने के लिए दावे किए जा रहे है। लेकिन पुलिस के जवान के आत्महत्या के मामले सामने आ रहे है। ऐसे में पुलिस प्रशासन को एक अभियान चलाया जाना चाहिए। जिसमें डिप्रेशन को लेकर बातचीत करें। आत्महत्या रोकने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

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