
पीयूष शंगारी / “डिजिटल इंडिया से सम्बंधित स्टॉक्स” जानें सबकुछ






- पीएस इन्वेस्टमेंट्स की इस श्रृंखला में आपका पुनः एक बार स्वागत है। पीयूष शंगारी के साथ हमारे संवाददाता के पिछले कुछ साक्षात्कारों के दौरान हमने शेयर बाजार के बारे में बड़ी ही सरल भाषा में अच्छी जानकारी जुटाई और आज हम हाजिर हैं “डिजिटल इंडिया से सम्बंधित स्टॉक्स” विषय पर शंगारी के एक नए साक्षात्कार के साथ।
शंगारी ने कहना शुरू किया कि डिजिटल इंडिया पीएम मोदी की एक खास पहल है। जिसकी शुरुआत 2015 में हुई थी। पीएम मोदी का मानना है कि हमारे देश के 100 करोड़ लोगों की शक्ति को दोगुना गया 3 गुना किया जा सकता है, अगर उन लोगों को डिजिटल सुविधाएं मिल जाए। काफी ऐसे कारक होते हैं जो एक इंसान की या एक देश की उत्पादकता को बढ़ा या घटा सकते हैं। उन कारकों में से एक कारक यह भी है कि बार-बार किसी भी काम के लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर निकालने पड़ते हैं, इससे लोगों का वक्त जाया होता है और आज की दुनिया में यह कहा जाता है कि समय ही पैसा है।
श्री पीयूष शंगारी ने आगे कहा कि डिजिटल इंडिया की वजह से हमें अपने देश में काफी बदलाव देखने को मिले हैं इस पहल से शेयर बाजार भी प्रभावित हुआ है। शेयर बाजार देखा जाए तो एक मंच के अलावा और कुछ नहीं है, जहां सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। कुछ कंपनियों ने डिजिटल इंडिया से लाभ उठाया है और उनके शेयर की कीमत आसमान छू गई है। इस वार्तालाप में हम ऐसी ही कंपनियों के बारे में बात करेंगे। पर साथ ही हमें सदैव या याद रखना बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट में पुराने ट्रेंड्स के पुनः दोहराव और आगामी लाभ की कभी कोई गारंटी नहीं रहती है।
अगर आपको पुराने ट्रेंड और नए आर्थिक बदलावों को देखकर निवेश करना सही लगता है तो आपको थीमेटिक निवेश के बारे में थोड़ी रिसर्च जरूर करनी चाहिए। थीमेटिक निवेशक प्रौद्योगिकी या अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव को देखते हैं और उन कंपनियों का पता लगाते हैं जो इन परिवर्तनों से लाभान्वित होने वाली हैं। एक तरह से देखा जाए तो डिजिटल इंडिया पहल को देखकर आईटी कंपनियां और इस तरह की दूसरी कंपनियों में निवेश करना थीमेटिक निवेश कहलायेगा।
पीयूष शंगारी ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से फायदा तो उठा रही है, लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी एक बहुत बड़ा विषय है। बहुत सारे उद्योग और सेक्टर इस में समा सकते हैं। तो चलिए इसे खोल कर देखते हैं।
डिजिटल इंडिया में बहुत सारे ई गवर्नेंस कार्यक्रम भी शामिल है। ई गवर्नेंस के तहत सरकार ने कई प्रक्रियाओं को डिजिटल कर दिया है जैसे पासपोर्ट बनवाना हो या परमिट के लिए आवेदन करना हो। डिजिटलाइजेशन से लोगों को समय और पैसा दोनों बचता है, परंतु डिजिटल संसाधनों को बनाए रखना आसान काम नहीं है। क्योंकि भारत एक बड़ा देश है और हर घर में कोई ना कोई व्यक्ति ई सुविधाओं का आनंद भी लेना चाहता है, अतः इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बहुत अधिक ट्रैफिक बढ़ जाता है। इसलिए सरकार इन प्लेटफार्म को बनाए रखने के लिए इंफोसिस और टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी करती है। वे ई गवर्नेंस को सुलभ बनाने के लिए इस तरह के डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण करते हैं।
शंगारी कहते हैं कि चलो आपको एक टिप देते हैं- आप पता लगाइये की अगले 3 सालों में सरकार किन-किन प्रक्रियाओं को डिजिटल करने वाली है और साथ ही यह भी पता लगाइए कि इस उपक्रम में सरकार किस निजी कंपनी के साथ साझेदारी करने वाली है। अगर ये कंपनियां मार्केट में लिस्टेड है तो इनमें निवेश करना एक समझदारी भरा निर्णय हो सकता है। अगर हमारे देश के नीति निर्माताओं को या सरकार के प्रमुख अधिकारियों को इन कंपनियों पर भरोसा है, तो हो सकता है कि ये कंपनियां लंबे समय में अच्छा लाभ दे। पर हमेशा अपने रिसर्च को किसी भी निवेश से पहले प्राथमिकता दें।
डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव का फायदा फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क प्रोवाइडर्स को भी हुआ है। वायरलेस इंटरनेट की प्रौद्योगिकी फाइबर ऑप्टिक्स के बिना सम्भव नहीं है। श्री मुकेश अंबानी की जियो गीगा फाइबर योजना वैश्विक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी तालिका में भारत की रैंकिंग को बदलना चाहती हैम भारत की वर्तमान रैंकिंग 134 है लेकिन जियो चाहता है कि भारत शीर्ष पांच में प्रवेश करे। स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज़ और हिमाचल फ्यूचरिस्टिक जैसे फाइबर ऑप्टिक प्रोवाइडर्स भी डिजिटल इंडिया को सफल बनाने में अहम भूमिका अदा करेंगे। इसलिए जब आप निवेश करने के लिए इंटरनेट आधारित कंपनियों की तलाश करते हैं तो केवल ई-कॉमर्स कंपनियों या स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म को ही ना देखें। इंटरनेट एक व्यापक भौतिकी बुनियादी ढांचे के कारण संभव हुआ है और जो कंपनियां इस बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही हैं वे शेयर बाजार में दांव लगाने के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकती है। हमेशा की तरह अपने शोध पर ध्यान दें और निवेश करने से पहले शोध में जो-जो तथ्य सामने आए हैं उन पर भी गौर करें।
हंसते-हंसते अपनी बात को विराम देते हुए श्री पीयूष अंगारी ने हमसे वादा किया कि आने वाले समय में वे निवेश और उससे जुड़े मुद्दों पर हमसे बात करते रहेंगे। हम भी आपसे यह गुजारिश करते हैं कि अगर आपको हमारे वित्तीय परामर्श संबंधी साक्षात्कार पसंद आ रहे हो, तो इन्हें लोगों से अधिक से अधिक शेयर भी अवश्य करें।


