
2 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध से शुरू होंगे पितृपक्ष, जानें श्राद्ध की तिथियां






खुलासा न्यूज,जयपुर। पितृ पक्ष दो सितंबर से शुरू होंगे। उस दिन पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाएगा। इस क्रम में 17 सितंबर को अमावस्या पर पितृपक्ष का समापन होगा। इसके एक महीने के बाद नवरात्र शुरू होंगे क्योंकि इस बार आश्विन मास में अधिकमास पड़ा रहा है। पहले पितृपक्ष खत्म होने के तुरंत बाद नवरात्र शुरू हो जाते थे। ज्योतिषों के अनुसार, 19 साल बाद दो अश्विन माह का अधिमास इस साल मिल रहा है। इसलिए इस बार चतुर्मास पांच महीने का है, जो एक जुलाई से शुरू होगा और 25 नवंबर तक चलेगा।
पितृपक्ष की शुभ तिथियां
पूर्णिमा का श्राद्ध 2 सितंबर को होगा। इस क्रम में प्रतिपदा का श्राद्ध 3, द्वितीया का 4, तृतीया का 5,चतुर्थी का 6,पंचमी का 7,षष्ठी का 8,सप्तमी का 9,अष्टमी का 10,नवमी का 11,दशमी का 12,एकादशी का 13, द्वादशी का 14, त्रयोदशी का 15 और चतुर्दशी का 16 सितंबर को श्राद्ध कर्म किया जाएगा।
10 को जीउतिया व्रत रखेंगे माताएं
10 सितंबर को संतान की निरोगता और लंबी आयु के लिए माताएं जीवित्पुत्रिका या जीउतिया व्रत रखेंगी। 11 सितंबर को मातृनवमी पर मातामह श्राद्ध किया जाएगा। इसमें माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के श्राद्ध करने की परंपरा है। इसे डोकरा नवमी भी कहा गया है। 16 सितंबर को शस्त्र आदि से अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के लिए श्राद्ध किया जाएगा। 17 सितंबर को पितृ विसर्जन हो जाएगा। उस दिन जिन लोगों के निधन की तिथियां ज्ञात नहीं है उनका श्राद्ध किया जाएगा। 17 सितंबर को विश्वकर्मा का पूजन भी किया जाएगा।
बेहतर होगा भोजन की जगह राशन दें
पंडितों के अनुसार जिन्होंने पवित्र तीर्थ गया में श्राद्ध पिंड कर लिया है वह पिंड दान न करें पर तर्पण जरूर करें। तर्पण लोहे या स्टील के पात्र के बजाए काष्ठ या कांसे के पात्र से करना श्रेष्ठ रहता है। जहां तक संभव हो पितरों का पूरे पखवारे पूजन करना चाहिए। कोरोना संकट के कारण ब्राह्मणों को पका भोजन नहीं, बल्कि कच्चा राशन देना बेहतर रहेगा।
पितृपक्ष के एक माह बाद नवरात्र
इस बार नवरात्र पितृपक्ष खत्म होने के साथ नहीं बल्कि एक माह बाद शुरू होंगे। हर साल पितृपक्ष में अमावस्या के अगले दिन प्रतिपदा से नवरात्र शुरू हो जाते थे, लेकिन इस बार श्राद्ध समाप्त होते ही एक महीने का अधिमास लग जाएगा। इस बीच सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। नवरात्र 18 अक्टूबर से शुरू होगा। ज्योतिषियों के मुताबिक ऐसा संयोग 165 साल बाद बना है।
165 साल बाद विशेष संयोग
आश्विन मास में मलमास लग जाने की वजह से दुर्गा पूजन में एक माह का अंतर आ गया है। ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद लग रहा है। मलमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस समय पूजा-पाठ और साधना का विशेष महत्व बताया गया है। मलमास 18 सिंतबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक चलेगा। हर साल 24 एकादशी होती है लेकिन मलमास की वजह से इस बार 26 एकादशी होंगी।


