पेट्रोल-डीजल 100 रुपए के पार, अब माइलेज और मेंटेनेंस में कौन सी कार आपके लिए है बेस्ट; या इलेक्ट्रिक कार खरीदें, जानिए सबकुछ - Khulasa Online पेट्रोल-डीजल 100 रुपए के पार, अब माइलेज और मेंटेनेंस में कौन सी कार आपके लिए है बेस्ट; या इलेक्ट्रिक कार खरीदें, जानिए सबकुछ - Khulasa Online

पेट्रोल-डीजल 100 रुपए के पार, अब माइलेज और मेंटेनेंस में कौन सी कार आपके लिए है बेस्ट; या इलेक्ट्रिक कार खरीदें, जानिए सबकुछ

देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार भले ही सुस्त हो, लेकिन इससे कोविड-19 महामारी थोड़ी सी कंट्रोल में आई है। देश के कई राज्यों में लॉकडाउन भी अब खोल दिया गया है। ऐसा माना जा रहा था कि महामारी के कंट्रोल में आने और लॉकडाउन खुलने की सूरत में कारों की बिक्री बढ़ जाएगी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। अप्रैल के मुकाबले मई में गाड़ियों की रिटेल बिक्री 55% कम हुई। इसका एक कारण पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतें भी हैं।

चौंकाने वाली बात तो ये है कि डीजल की कीमतें भी पेट्रोल के बराबर आ गई हैं। दोनों की कीमतों में महज 7 रुपए का अंतर रह गया है। अब सिर्फ 7 रुपए के अंतर के बीच क्या डीजल कार खरीदना सही फैसला है? यदि नहीं, तब पेट्रोल कार पर जाना चाहिए, या फिर कोई अन्य ऑप्शन भी है?

 

सबसे पहले समझिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों का गणित…

15 फरवरी, 2011 को पेट्रोल की कीमत 58.37 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 41.12 रुपए प्रति लीटर थी। कहने को ये कीमतें 10 साल पुरानी हैं, लेकिन इस दौरान पेट्रोल लगभग दोगुना और डीजल लगभग ढाई गुना तक महंगा हो गया है। राजस्थान के गंगानगर में पेट्रोल 107.53 रुपए प्रति लीटर और डीजल 100.37 रुपए प्रति लीटर हो गया है। यानी 10 साल में पेट्रोल 49.16 रुपए प्रति लीटर और डीजल 59.25 रुपए प्रति लीटर महंगा हो गया है। यानी पेट्रोल की तुलना में डीजल ज्यादा महंगा हो गया है।

अब समझिए डीजल और पेट्रोल कार की कीमतों का गणित

पेट्रोल की तुलना में डीजल कार की कीमत मिनिमम 70 हजार रुपए या उससे बहुत ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए, टाटा नेक्सन XM S पेट्रोल वैरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत 9.71 लाख रुपए है। वहीं, इसके XM S डीजल वैरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत 11.33 लाख रुपए है। यानी दोनों की कीमतों में 1.62 लाख रुपए का अंतर है।

कार का माइलेज : ये बात सच है कि पेट्रोल कार की तुलना में डीजल कार का माइलेज 4 से 5 किलोमीटर ज्यादा होता है। जैसे, किआ सोनेट को लेकर कंपनी का कहना है कि इसका पेट्रोल वैरिएंट 18km/l और डीजल वैरिएंट 24km/l का माइलेज देता है। यानी दोनों के माइलेज में 6km/l का अंतर है। हालांकि ऑनरोड माइलेज कंपनी के बताए गए माइलेज की तुलना में कम हो जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो दोनों के माइलेज का अंतर अधिकतम 4km/l का ही होता है।

सिर्फ 4km/l के ज्यादा माइलेज के लिए एक लाख रुपए ज्यादा खर्च करना कितना सही है? अब इसका गणित भी समझिए

  • डीजल पर खर्च : मान लीजिए रोजाना आप कार को 50 किमी चलाते हैं। तब महीने में आप कार को 30 दिन के हिसाब से 1500 किमी चलाएंगे। अब आपकी डीजल कार का माइलेज 24km/l है, तब एक महीने में मिनिमम 62.5 लीटर डीजल खर्च होगा। अभी डीजल की कीमतें 100.37 रुपए प्रति लीटर हो चुकी हैं। ऐसे में 62.5 लीटर डीजल का खर्च 6,274 रुपए होगा। यदि कार का माइलेज कम हुआ, तब ये खर्च बढ़ जाएगा।
  • पेट्रोल पर खर्च: डीजल की तरह पेट्रोल कार से भी रोजाना 50 किमी चलते हैं। तब महीने में आप कार 1500 किमी चलाएंगे। अब आपकी पेट्रोल कार का माइलेज 18km/l है, तब एक महीने में मिनिमम 83.4 लीटर पेट्रोल खर्च होगा। अभी पेट्रोल की कीमतें 107.53 रुपए प्रति लीटर हो चुकी हैं। ऐसे में 83.4 लीटर पेट्रोल का खर्च 8,960 रुपए होगा। यदि कार का माइलेज कम हुआ, तब ये खर्च बढ़ जाएगा।
  • दोनों का अंतर : अब डेली 50 किमी चलने के हिसाब पेट्रोल और डीजल कार के खर्च की बात की जाए, तो महीनेभर में दोनों के फ्यूल का अंतर 2,686 रुपए हो जाता है। यानी सालभर में (12 महीने X 2686 रुपए) फ्यूल पर 32,232 रुपए बचत होगी। लेकिन थोड़ा सा ठहरिए, क्योंकि बचत का ये आंकड़ा कम होने वाला है।

अब समझिए पेट्रोल और डीजल कार के मेंटेनेंस का खर्च

पेट्रोल की तुलना में डीजल कार की मेंटेनेंस कॉस्ट काफी बढ़ जाती है। इसे लेकर कार एक्सपर्ट और ‘Ask CarGuru’ के नाम से पॉपुलर अमित खरे ने बताया कि डीजल कार की कीमत जितनी ज्यादा होगी, उसकी मेंटेनेंस कॉस्ट भी उतनी बढ़ जाएगी। 15 से 20 लाख रुपए वाली डीजल कार पर मेंटेनेंस के लिए 20% तक खर्च होते हैं, तो 20 लाख से ऊपर वाली कार पर मेंटेनेंस के लिए 30% तक खर्च आता है।

पेट्रोल की तुलना में छोटी डीजल कार में सालाना मेंटेनेंस पर 2,500 रुपए तक ज्यादा खर्च करने होते हैं। इसमें ज्यादा इंजन ऑयल, इंजन क्लिनिंग, डीजल फिल्टर जैसे खर्च शामिल हैं। इसके अलावा सर्विस के दौरान भी इसमें 1,000 रुपए तक ज्यादा खर्च होते हैं। कई मौके पर कुछ छोटे पार्ट्स भी बदलने की नौबत आ जाती है। कुल मिलाकर हर साल इसकी मेंटेनेंस की कॉस्ट करीब 4,000 रुपए तक ज्यादा हो सकती है।

यानी फ्यूल के नाम पर 32,232 रुपए की सालाना बचत से अब ज्यादा मेंटेनेंस के 4,000 रुपए कम दें, तो बचत 28,232 हो जाती है। इस हिसाब से यदि आपने डीजल कार के लिए एक लाख रुपए ज्यादा खर्च किए हैं, तब उसकी लागत 4 साल में निकलेगी। या शायद उससे भी ज्यादा वक्त लग जाए। इतना ही नहीं, अमित खरे ने बताया कि डीजल कार की कॉस्ट निकालने के लिए कार को ज्यादा चलाना होगा, लेकिन ज्यादा चलने से उसकी मेंटेनेंस कॉस्ट भी बढ़ जाएगी।

 

डीजल की तुलना में पेट्रोल बेहतर, लेकिन पेट्रोल का विकल्प ई-व्हीकल

बात पेट्रोल या डीजल कार पर ही खत्म नहीं होती, क्योंकि अब तीसरा विकल्प भी मौजूद है। जी हां, देश में इलेक्ट्रिक कार की डिमांड धीरे-धीरे बढ़ रही है। हालांकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों के नॉट आउट शतक से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की डिमांड तेजी से बढ़ सकती है। सरकार FAME II स्कीम के चलते ई-व्हीकल पर अब ज्यादा सब्सिडी देगी। वहीं, देश में ई-व्हीकल इंडस्ट्री में बढ़ते निवेश से भी फायदा होगा।

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) द्वारा जारी पिछले 6 के आंकड़ों को देखा जाए तो ई-व्हीकल सेगमेंट में सात गुना की ग्रोथ हुई है, लेकिन ये आंकड़े काफी छोटे हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों के शतक के बाद अब इलेक्ट्रिक कार लोगों के लिए बेहतर ऑप्शन बन सकती है। तो चलिए पहले समझते हैं इलेक्ट्रिक कार से बचत का गणित…

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