सात दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम इतने बढ़े - Khulasa Online सात दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम इतने बढ़े - Khulasa Online

सात दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम इतने बढ़े

नईदिल्ली. इंटरनेशनल मार्केट में क्रुड ऑयल के दाम करीब 26.42 प्रतिशत तक घट चुके हैं। इसके बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल में लगातार महंगाई की आग भड़क रही है। पिछले सात दिन में छह बार तेल कंपनियों ने पेट्रोल.डीजल के दाम बढ़ाए हैं। सोमवार को भी पेट्रोल 30 पैसे और डीजल 35 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ है। अब एक हफ्ते के दौरान दोनों के दाम एक लीटर पर चार रुपए तक बढ़ चुके हैं। नई दरों के अनुसारए दिल्ली में पेट्रोल 99.41 रुपए प्रति लीटर और डीजल 90.77 रुपए प्रति लीटर बिकेगा। मुंबई में पेट्रोल 114.08 रुपए और डीजल 98.48 रुपए प्रति लीटर पर बिकेगा।

कच्चा तेल सस्ता, लेकिन पेट्रोल-डीजल महंगा
कच्चे तेल के दाम फरवरी के अपने 140 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर से गिरकर 103 डॉलर तक आ चुके हैं, फि र भी पिछले छह दिनों में तेल कंपनियां पांच बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा चुकी है। तेल कंपनियों का रुख देखते हुए यह माना जा रहा है दाम बढ़ने का यह क्रम अगले 15 दिन तक इसी तरह जारी रह सकता है।

मूडीज ने किया था दावा- धीरे-धीरे बढ़ेंगे दाम
पिछले दिनों मूडीज रेटिंग एजेंसी ने रिपोर्ट जारी कर कहा था कि भारत के टॉप फ्यूल रिटेलर्स आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को नवंबर से मार्च के बीच करीब 2.25 अरब डॉलर 19 हजार करोड़ रूपए के रेवेन्यू का नुकसान हुआ है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार रिफ ाइनरी को नुकसान से बचाने के लिए कीमतें बढ़ाने की अनुमति देगी। लगातार दो दिन 80.80 पैसे बढ़ने पर मूडीज ने कहा था कि इससे संकेत मिलता है पेट्रोल-डीजल के दाम एक बार में न बढ़ाकर धीरे.धीरे बढ़ाए जाएंगे।

पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए
च्भ्क् चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को ळैज् के तहत लाने से बहुत मदद मिलेगी। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह रोज-रोज कीमतें बढ़ रही हैए उस पर लगाम लगाने के लिए अब ळैज् के तहत पेट्रोल-डीजल को लाना होगा।

भारत में कैसे तय होती हैं पेट्रोल.डीजल की कीमतें
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी।

19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया। अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतए एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

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