
राजस्थान में आने वाला है स्वाइन फ्लू का पीक सीजन, अलर्ट मोड पर स्वास्थ्य विभाग, गाइडलाइन जारी






राजस्थान में आने वाला है स्वाइन फ्लू का पीक सीजन, अलर्ट मोड पर स्वास्थ्य विभाग, गाइडलाइन जारी
जयपुर। स्वाइन फ्लू, इन्फ्लूएंजा और एडेनोवायरस के बीमार में लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं, इसकी वजह से सही तरह से इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर इंफ्लुएंजा वायरस के लक्षण पांच सात दिन में ठीक नहीं होने से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
किसी भी दवा विक्रेता से मनमर्जी की दवाएं लेने की बजाए चिकित्सक से ही परामर्श लें। इससे संक्रमित शख्स के दोनो फेफड़ों तक संक्रमण नहीं पहुंचे। राहत की बात है कि स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए वेक्सीनेशन हो रहा है। इससे व्यक्ति एक साल तक इस रोग से सुरक्षित हो जाता है।
एडवाइजरी जारी
तापमान में अचानक बदलाव के कारण स्वाइन फ्लू के केस बढऩे की आशंका रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए सीकर चिकित्सा विभाग ने सतर्कता बरतने और संक्रमण से बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन के अनुसार संदिग्ध मरीजों के लिए ओपीडी और आईपीडी में अलग व्यवस्था रखी जाए। गंभीर मरीजों के लिए अलग आईसोलेशन वार्ड और सामान्य वार्डों में संक्रमण रोकने के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू करें।
इससे समय पर इलाज और रोकथाम सुनिश्चित की जा सके। सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग, प्रसूता और बच्चों को रहता है। ऐसे में सर्दी, जुकाम के मरीजों को मास्क लगाने, सार्वजनिक स्थलों पर दूरी बनाने, एक दूसरे का हाथ मिलाने, छींकते, खांसते समय मुंह पर हाथ लगाने या मास्क लगाने की सलाह दी है। सर्दी, जुकाम, बुखार, गले में खरास होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श की सलाह दी गई है।
जनवरी पीक सीजन
चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर स्वाइन फ्लू का सीजन जनवरी के दूसरे पखवाड़े में आता है। स्वाइन फ्लू का संक्रमण एक प्रकार का फ्लू वायरस पैदा करता है। स्वाइन फ्लू मनुष्यों में गला, नाक व फेफड़ों को संक्रमित करता है। शुरुआती समय में उपचार नहीं लेने पर मरीज के दोनो फेफड़ों में निमोनिया बन जाता है।


