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चिकित्सा शिक्षा सचिव आए और बहुत कुछ कहकर चले गए

चिकित्सा शिक्षा सचिव आए और बहुत कुछ कहकर चले गए

बीकानेर। संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल के हालात क्या है किसी से छुपे नहीं है। इसको लेकर कई बार ज्ञापन भी दिए जाते है तो कई बार प्रशासनिक अधिकारी लगाने की भी मांग की जाती रही है। मंत्री, विधायकों के दौरे भी होते है। लेकिन हालात कभी सुधरे ही नहीं। हाल ही में चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार भी एक दिन के लिए बीकानेर पहुंचे और अस्पताल के कई विंग का निरीक्षण किया और बैठक भी ली। इस दौरान कई मुद्दों को लेकर खुल कर निर्देश भी देकर गए। इस मेडिकल शिक्षा सचिव पीबीएम अस्पताल के कई विभागों एवं एसएसबी की स्थिति देख कर उखड़ गए। उन्होंने जहां-जहां भी निरीक्षण किया, कमियां ही दिखीं। उन्होंने डेढ़ सौ करोड़ की लागत से बने एसएसबी को भी देखा। यहां पर दीवारों से उखड़े प्लास्टर और टाइल्स को देख कर तो उन्होंने मौके से ही मोबाइल फोन से संबंधित एजेंसी के अधिकारियों को डांट लगानी शुरू कर दी।अधिकारियों से घटिया निर्माण तथा घटिया स्तर के पाइप लगाने के संबंध में कई तरह के सवाल किए।

प्राचार्य के पास भी नहीं जवाब
पीबीएम अस्पताल के हालात का अंदाज इससे भी लगाया जा सकता है। जब निरीक्षण के दौरान सचिव ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी से एसएसबी के निर्माण के संबंध में और अन्य समस्याओं पर जानकारी चाही, तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। इस पर सचिव बेहद नाराज हुए और यहां तक बोल गए कि बस जयपुर आकर मीठी बातें करते हो और चले जाते हो। कभी भी अस्पताल के इश्यू नहीं बताए। इतनी बड़ी बिल्डिंग का निर्माण इस स्तर का किया गया है, कभी बताया तक नहीं।

पूरा समय नहीं देंगे तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा
बैठक के दौरान चिकित्सा शिक्षा सचिव ने प्राचार्य और अधीक्षक से कहा कि आप प्रशासनिक पद पर है। जब तक पूरा समय नहीं देंगे तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा। इसको लेकर प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी ने तो अपने विभाग के एचओडी तक से ये कह दिया की उनके ओपीडी में किसी ओर डॉक्टर की व्यवस्था करें। वे मरीज नहीं देखेंगे। वहीं अधीक्षक ने इस्तीफे तक की बात कह दी।

अन्य कार्यक्रमों में अधिक नजर आते है प्राचार्य
बैठक के दौरान प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी की कही बात चर्चा का विषय रही। जबकि शहर के कई कार्यक्रमों में प्राचार्य नजर आते है। कभी मुख्य तो कभी विशिष्ट अतिथि के तौर पर। लेकिन जब समस्याओं के समाधान की बात उठी तो उन्होंने मरीज नहीं देखने तक की बात कह डाली। ऐसे में सवाल ये उठता है की आखिर समस्याओं के समाधान को लेकर कोई कदम उठेगा या चिकित्सा शिक्षा सचिव गए और वो के वो हालात फिर से नजर आएंगे।

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