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पार्टनर ने नहीं दिया हिसाब, फाइनेंसर ने किया सुसाइड:सुसाइड नोट ने उगला राज

श्रीगंगानगर (राजियासर) जिले के सूरतगढ़ इलाके के इंदिरा गांधी नहर परियोजना की 236 आरडी में कूदकर जान देने वाला फाइनेंसर गौरव अपने पार्टनर के करीब पचास लाख रुपए का हिसाब नहीं देने से परेशान था। इसी परेशानी के चलते उसने नहर में कूदकर जान दे दी। मृतक के जीजा ने इस संबंध में दर्ज करवाए मामले में आरोप लगाया कि फाइनेंसर के पार्टनर ने कमेटियों में उसकी करीब पचास लाख रुपए की राशि लगावा दी और इसका कोई हिसाब किताब भी नहीं दिया। इससे वह परेशान रहने लगा। इसी के चलते उसने आत्महत्या कर ली।

पार्टनर ने लगवाए कमेटियों में रुपए
इस संबंध में फाइनेंसर के जीजा श्रीगंगानगर के राजेंद्र कुमार पुत्र मोहनलाल शर्मा ने राजियासर थाने में मामला दर्ज करवाया है। इसमें कहा गया कि उसकी पत्नी का भाई गौरव शर्मा सूरतगढ़ में नंद किशोर सारड़ा के साथ मिलकर फाइनेंस का काम करता था। फाइनेंस के इस काम में उसने करीब पचास लाख रुपए कमेटियों में निवेश किए। राजेंद्र ने इस संबंध में दर्ज मामले में बताया कि गौरव ने उन्हें कई बार बताया कि उसके पार्टनर ने उसके करीब पचास लाख रुपए कमेटियों में लगवा दिए तथा इस रुपए का कोई हिसाब भी नहीं दिया। इससे वह परेशान रहने लगा। इसी के चलते गौरव ने इंदिरा गांधी नहर की 236 आरडी के पास नहर में कूदकर आत्महत्या कर ली।

मृतक के पास मिला सुसाइड नोट, आरोपी फरार
एसएचओ पवन कुमार ने बताया कि मृतक गौरव के पास एक सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें उसने पार्टनर के हिसाब नहीं देने को आत्महत्या कारण बताया है। इस पर पार्टनर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि सुसाइड नोट में पार्टनर के करीब पचास लाख रुपए का हिसाब नहीं देने का आरोप लगाया गया है। इस घटनाक्रम के बाद से आरोपी नंद किशोर फरार बतााया जा रहा है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है।

10 साल पहले शुरु किया था फाइनेंसर का काम
स्थानीय लोगों ने बताया कि गौरव और नंदकिशोर एक ही मोहल्ले में रहते थे. दोनों पारिवारिक मित्र भी थे। 10 साल पहले गौरव ने ही फाइनेंस का काम शुरू किया था, जिसमें उसने नंद किशोर को पार्टनर बनाया था। लोगों को ब्याज पर पैसा देने के लिए कमेटियों में पैसा लगाते थे। दरअसर, कमेटी फंड इकट्ठा करने का एक सिस्टम होता है। जिसमें कुछ लोग मिलकर एक निर्धारित रकम जमा करते हैं, जिसमें फंड का एक टार्गेट भी होता है। फंड पूरा होने पर कमेटी मेंबर में से जिसे जरूरत होती है, वह ब्याज देकर पैसा उठा लेता है, जिसे वह बाद में किश्तों के जरिए लौटाता है। गौरव और नंद किशोर ने कोरोना काल में कमेटियों में पैसा उठाकर मार्केट में ब्याज पर दे दिया था। लेकिन इसका रिटर्न नहीं मिला। यह रकम करीब 50 लाख से ज्यादा थी। जब कमेटी के बाकी सदस्यों नेरिटर्न मांगा तो दबाव बढ़ने लगा। आरोप है कि नंद किशोर ने जिन लोगों को कमेटी का पैसा ब्याज पर दिया था, उसकी वसूली चुपके से कर ली लेकिन लौटाया नहीं। वह इसका हिसाब भी नहीं दे रहा था। इससे गौरव तनाव में रहने लगा।

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