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किसान गोष्ठी का आयोजन, जानिए लूणकरणसर की दो महत्वपूर्ण खबरें

खुलासा न्यूज़ लूणकरणसर बीकानेर संवाददाता लोकेश कुमार बोहरा।आज दिनांक 16 जुलाई को कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर पर भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् नयी दिल्ली के 94वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें लूणकरनसर, सुरनाना और खाजूवाला क्षेत्रों के 86 किसान एवं महिला किसान और 25 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् नयी दिल्ली में हो रहे स्थापना दिवस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी प्रतिभागियों को दिखाया गया, जिसमें माननीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, माननीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, परिषद् महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा तथा परिषद् उप-महानिदेशक डॉ. ए के सिंह ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् और उसके घटक संस्थानों के कृषि में योगदान पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही, देश भर के 726 कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। उक्त कार्यक्रम में कृषि में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए विभिन्न संस्थाओं, वैज्ञानिकों एवं प्रगतिशील किसान भाई-बहनों को भी पुरुस्कार वितरित किये गए जिससे युवा पीढ़ी कृषि में नवाचार को प्रेरित हो सके। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर पर आयोजित गोष्ठी में कृषि में नवाचार और परंपरा के संतुलित प्रयोग द्वारा कृषि करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। केंद्र प्रभारी डॉ. मदन लाल रैगर ने बताया कि आज ही के दिन 16 जुलाई 1928 को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् की स्थापना की गयी थी, जिसका मुख्य उद्देश्य उस समय देश में फैली भुखमरी और खाद्यान्न की कमी से निजात पाना था। समय के साथ हरित क्रांति के कारण हमने खाद्यान्न की कमी तो पूरा कर लिया, किन्तु ज़मीन का अत्यधिक दोहन भी किया, जिस कारण आज स्थिति ये हो गयी है कि हमारी मृदा में जैविक कार्बन स्तर न्यूनतम हो चुका है। उन्होंने खाद एवं उर्वरकों के उचित उपयोग पर बल देते हुए किसानों से सही समय, सही तरीके और उचित मात्रा में ही उर्वरकों और दवाओं का प्रयोग करने की सलाह दी। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक श्री भगवत सिंह खेरावत ने बीजोपचार की आवश्यकता के बारे में बताते हुए पहले फफूंदनाशी, फिर कीटनाशी और फिर जैव उर्वरकों से बीजोपचार की विधि पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने हरी खाद जैसे ढेंचा, सनई आदि के प्रयोग से मृदा के जैविक, भौतिक और रासायनिक तीनों दशाओं का सुधार करने पर ज़ोर दिया जिससे आने वाले समय में मृदा का बंजर होने से बचाया जा सके। केंद्र की खाद्य एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. ऋचा पंत, महिला बाल विकास कार्यवाहक सीडीपीओ मंजू चांगरा, महिला पर्यवेक्षक सुलोचना खीचड़ तीनों ने आहार में फल एवं सब्ज़ियों के महत्व को बताते हुए मौसमी सब्ज़ी एवं फलों की आवश्यकता की पूर्ती के लिए घर पर ही एक “पोषण वाटिका” स्थापित करने का आह्वाहन किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान मौसम में कद्दू-वर्गीय सब्जियों जैसे घीया, कद्दू, तुरई, करेला आदि तथा साथ में भिंडी, ग्वार, बैगन का अपनी वाटिका में उगाया जा सकता है। इसके साथ ही फलदार पौधे भी इस समय आसानी से लगाए जा सकते हैं। कार्यक्रम के अंत में लोगों को सब्ज़ी उत्पादन के प्रति प्रेरित करने हेतु खरीफ मौसम कि सब्ज़ी मिनिकिट तथा बैगन व् मिर्ची की पौध भी वितरित की गयी। बड़ी संख्या में उपखंड स्तर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी उपस्थित हुईं।

 

खुलासा न्यूज़ लूणकरणसर बीकानेर संवाददाता लोकेश कुमार बोहरा। लुणकरनसर कस्बे के साथ-साथ गांव में भी इंद्रदेव मेहरबान। सावन के महीने में इस बार इंद्रदेव लुणकरनसर तहसील में मेहरबान है‌। कई गांव में तो बारिश आफत ही बन गई। मल्कीसर बड़ा में बारिश के कारण पानी भी कटा हुआ है सड़कों पर। रतनीसर खिलेरिया शेखसर ऊंचाईडा और कई गांव में जोरदार बारिश हुई।

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