Gold Silver

देश के 3 बड़े डॉक्टरों की राय: शुरुआत में ही इलाज कराएं, तो बीमारी गंभीर नहीं होगी

देश में कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल बेड से लेकर ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। इस बीच एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया, नारायणा हेल्थ के डॉ. देवी शेट्टी और मेदांता के डॉ. नरेश त्रेहन ने कोरोना के इलाज पर बात की। देश के तीनों बड़े डॉक्टरों ने बुधवार को बताया कि रेमडेसिविर को लोग मैजिक बुलेट न समझें।

डॉ. त्रेहन ने कहा कि रेमडेसिविर केवल उन लोगों में वायरल लोड को कम करता है, जिन्हें इसकी जरूरत है। रेमडेसिविर कोई रामबाण नहीं है। डॉक्टरों ने कहा कि जिन्हें रेमडेसिविर की जरूरत है, ऐसे मरीजों का परसेंटेज काफी कम है। एक देश के तौर पर अगर हम साथ काम करें, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर का ईमानदारी से इस्तेमाल करें तो कहीं भी इसकी कमी नहीं होगी। जितने लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत है, उसके लिहाज से ऑक्सीजन की सप्लाई संतुलित है।

ज्यादातर लोगों को विशेष ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं
तीनों डॉक्टरों ने कहा कि हम लोगों से ज्यादातर ऐसे लोग जो पैनिक की वजह से होम आइसोलेशन में हैं या अस्पतालों में हैं, उन्हें किसी तरह के विशेष ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है।

शुरुआत में ही इलाज कराएं, तो बीमारी गंभीर नहीं होगी: डॉ शेट्टी
नारायणा हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. देवी शेट्टी ने कहा कि अगर आपको शरीर दर्द, सर्दी-खांसी, कब्ज या वोमिटिंग जैसे जैसे लक्षण दिखाई दें, तो सबसे पहले कोरोना का टेस्ट कराना चाहिए। अगर आप पॉजिटिव आते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। घबराएं नहीं, कोरोना अब बेहद कॉमन है। अगर आप इसकी शुरुआत में ही इलाज कराएं, तो इससे बिना किसी परेशानी के ठीक हुआ जा सकता है।

‘ऐसा भी हो सकता है कि आप बिना लक्षणों वाले मरीज हों, तब डॉक्टर आपको घर में ही आइसोलेट रहने को कह सकते हैं। इस दौरान 6 घंटे में ऑक्सीजन सैचुरेशन जरूर चेक किया जाना चाहिए। अगर ऑक्सीजन सैचुरेशन 94% से ऊपर है तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर इसमें गिरावट आती है तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यह जरूरी है कि आप सही वक्त पर सही इलाज लें।’

रेमडेसिविर रामबाण नहीं, ऑक्सीजन भी जरूरत पर ही यूज करें: डॉ. त्रेहन
मेदांता के डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा कि कोरोना के बहुत कम मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। इसलिए अस्पताल के बेड समझदारी और जिम्मेदारी से इस्तेमाल किए जाने चाहिए। यह हम सब की जवाबदारी है।

उन्होंने कहा, ‘अब हमने यह प्रोटोकॉल बना दिया है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन हर एक पॉजिटिव मरीज को नहीं दिया जाना चाहिए। टेस्ट रिजल्ट, लक्षण, पहले से मौजूद बीमारी जैसी चीजों को देखकर ही डॉक्टर रेमडेसिविर देने की सलाह देंगे। यह कोई रामबाण नहीं है। इससे केवल वायरल लोड कम होता है।’

डॉ. त्रेहन ने कहा, ‘अभी हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है, बशर्ते हम इसका समझदारी से इस्तेमाल करें। मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर आपको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है, तो इसे केवल सुरक्षा कवच के तौर पर इस्तेमाल ना करें। ऑक्सीजन की बर्बादी से उन लोगों को तकलीफ झेलनी पड़ेगी, जिन्हें इसकी सचमुच जरूरत है।’

85% लोगों को रेमडेसिविर की जरूरत नहीं: डॉ. गुलेरिया
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के 85% मरीजों को रेमडेसिविर जैसे स्पेसिफिक ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती। अधिकतर लोगों में सर्दी, गले में खराश जैसे साधारण लक्षण होते हैं। पांच से सात दिन के अंदर वह ठीक भी हो जाते हैं। केवल 15% लोगों में ही संक्रमण मॉडरेट स्तर तक पहुंचता है।

‘एक देश के तौर पर अगर हम साथ मिलकर काम करें। ऑक्सीजन और रेमडेसिविर को समझदारी से इस्तेमाल करें, तब इसकी कभी और कहीं शॉर्टेज नहीं होगी। जहां तक ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों और इसकी सप्लाई का सवाल है हम संतुलन की स्थिति में हैं।’

‘ऑक्सीजन एक ट्रीटमेंट है, इसे यह दवाई की तरह समझें। गैर जरूरी ऑक्सीजन लेना इसका वेस्टेज है। अभी तक कोई डाटा भी नहीं है, जो यह बताता हो कि ऐसा करने से कोई फायदा हुआ हो।’

वैक्सीन को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, ‘कोरोना का टीका आपकी बीमारी को गंभीर होने से रोकता है। यह आपको इन्फेक्शन से नहीं बचाता। यह समझना जरूरी है कि वैक्सीन लेने के बाद भी किसी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ सकती है। वैक्सीन के बाद भी मास्क पहनना जरूरी है।’

​​​​​मंगलवार को रिकॉर्ड 2.94 लाख लोग संक्रमित मिले
मंगलवार को कोरोना के आंकड़ों का नया रिकॉर्ड दर्ज किया गया। पहली बार एक दिन के अंदर सबसे ज्यादा नए मरीज मिले, सबसे ज्यादा मौतें हुईं और ठीक होने वालों का भी रिकॉर्ड बना। पिछले 24 घंटे के अंदर 2 लाख 94 हजार 115 लोग संक्रमित पाए गए। पिछले साल कोरोना की शुरुआत से लेकर अब तक एक दिन में मिले मरीजों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।

इन 24 घंटों में संक्रमण से 2020 लोगों ने दम तोड़ दिया। इसके पहले सितंबर में एक दिन के अंदर 2004 मौतें दर्ज की गई थीं। हालांकि, तब कुछ पुरानी मौतों का आंकड़ा भी इसमें जोड़ा गया था। इस बीच राहत की बात है कि बीते 24 घंटे में 1 लाख 66 हजार 520 लोग ठीक भी हुए। रिकवरी का यह आंकड़ा भी अब तक का सबसे ज्यादा है।

Join Whatsapp 26