
संस्कार ही हमें सक्षम जीवन जीने का आधार प्रदान करते हैं-यज्ञाचार्य राजेंद्र किराडू





बीकानेर। जीवन में संस्कारों का प्रबल महत्व है,संस्कार ही वस्तुत: हमें सक्षम जीवन जीने का आधार प्रदान करते हैं।प्रसिद्ध यज्ञाचार्य पंडित राजेंद्र किराडू ने करपात्री स्वामी निरंजन देव तीर्थ कीर्ति संस्थान प्रन्यास, देवीकुंड सागर बीकानेर एवं राजस्थान संस्कृत अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सप्त दिवसीय वैदिक संस्कार शिविर के उद्घाटन अवसर पर ये बात कही।किराडू ने कहा कि हमारी वैदिक पद्धति पुरातन काल से ही विश्व को राह दिखाती रही है।उन्होंने सभी को संस्कारों के प्रति सदैव सजग रहने की सलाह देते हुए कहा कि इस सप्त दिवसीय शिविर का लाभ जन जन तक पहुंचाने के प्रयास होने चाहिए।
इस अवसर पर वैदिक ज्ञाता और तपस्वी आनंद तिवाड़ी ने कहा कि हमारी संस्कृति को वैदिक संस्कारों के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में मानव जीवन को पवित्र और परिष्कृत करने के लिए संस्कार महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये संस्कार जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों को चिह्नित करते हैं और उनका उद्देश्य व्यक्ति को आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से विकसित करना है।
उन्होंने सभी सोलह संस्कारों की विस्तृत व्याख्या करते हुए इनकी उपादेयता पर प्रकाश डाला। वेद विद्यालय की ओर से श्याम व्यास ने कहा कि संस्कार व्यक्ति के जीवन को व्यवस्थित और अनुशासित बनाते हैं वहीं व्यक्ति को सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित होने में मदद करते हैं और व्यक्ति को अच्छे कर्म करने और बुराई से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं।
शिविर आचार्य विशाल शर्मा ने कहा कि संस्कार व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का बोध कराते हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो व्यक्ति के जीवन को पवित्र और परिष्कृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन संस्कारों का पालन करके, व्यक्ति न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी योगदान दे सकता है। आचार्य शंकर दयाल शर्मा,श्रवण शर्मा सहित विभिन्न वेदाचार्यों ने संस्कारों की महिमा बताई। राजस्थान संस्कृत अकादमी की निदेशक डॉ लता श्रीमाली के हवाले से बताया गया कि शिविर सात अगस्त तक चलेगा।


