
मंगलवार को सूर्य को जल चढ़ाने से बढ़ेगी उम्र और खत्म होंगी बीमारियां






16 नवंबर को सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहा है। इस दिन वृश्चिक संक्रांति पर्व मनाया जाएगा। हर साल ये पर्व हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक या अगहन महीने में आता है। इस राशि परिवर्तन पर यानी संक्रांति पर्व पर सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना की जाती है। पुराणों में कहा गया है कि हर महीने आने वाले संक्रांति पर्व पर तीर्थ स्नान और दान के साथ ही सूर्य पूजा करने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। वेदों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है। अब 15 दिसंबर तक सूर्य वृश्चिक राशि में रहेगा।
दान के साथ पितरों का भी पर्व
संक्रांति के दिन तीर्थ स्नान और दान का खास महत्व होता है। इसलिए इस दिन कपड़े, खाने-पीने और जरूरत की चीजों के दान करने की परंपरा है। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व होता है। इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण करने से पितर संतुष्ट होते हैं। वृश्चिक संक्रांति पर पुण्यकाल में किए गए दान का कई गुना शुभ फल मिलता है। इनमें कई तरह की चीजों का दान करने का विधान पुराणों में बताया गया है।
पूजन विधि
सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।
पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके साथ ही रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्य देव को अर्घ्य दें।
लाल दीपक जलाना चाहिए, यानी घी में लाल चंदन मिलाकर दीपक लगाएं। सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं।
गुग्गल की धूप करें, रोली, केसर, सिंदूर आदि चढ़ाना चाहिए।
गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं और लाल चंदन की माला से “ॐ दिनकराय नमः” मंत्र का जाप करें।
पूजन के बाद नैवेद्य लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में बांट दें।
वृश्चिक संक्रांति का फल
पुरी के ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सरकारों और सरकारी कर्मचारियों के लिए ये संक्रान्ति शुभ रहेगी। चीजों के दाम और महंगाई बढ़ सकती है। कई लोगों को सेहत संबंधी परेशानी हो सकती है। ठंड बढ़ेगी। खांसी-जुकाम और बीमारियों का संक्रमण भी चलता रहेगा। पड़ोसी देशों के साथ तनाव की स्थिति बन सकती है। मंगल की राशि में सूर्य के आ जाने से 16 दिसंबर तक कई लोगों के लिए कष्ट पूर्ण समय हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सूर्य का अशुभ असर दिखेगा।


