नवीं-ग्यारहवीं मेंं अब बोर्ड की अनुमति से ही होगा एडमिशन

नवीं-ग्यारहवीं मेंं अब बोर्ड की अनुमति से ही होगा एडमिशन

झालावाड। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबंध स्कूलों में अब नवीं और ग्यारहवी कक्षा में प्रवेश लेना आसान नहीं रहा। स्कूल हर एडमिशन बोर्ड की अनुमति के बाद ही करेगा। एक लंबी कवायद के बाद इस सत्र से लागू बंदिश में स्कूल बदलने के कारण का शपथ-पत्र देना भी आवश्यक होगा। खराब पढ़ाई के चलते स्कूल बदलने के कारण को प्रूव करना होगा। सूत्रों ने बताया यह नई व्यवस्था उलझन बढ़ाने वाली भी है। लंबी प्रक्रिया के बाद यदि बोर्ड ने स्वीकृति नहीं दी तो बच्चों को नुकसान होने की आशंका रहेगी। इस नई गाइड-लाइन में स्कूल बदलने की जो रियायतें दी है, उन्हे भी मय कागज-सबूत के पेश करना जरूरी होगा। पहले इन दोनों क्लासों में एडमिशन आसान था, जिसे अब जटिल बना दिया है। जानकारों ने बताया कि जब दसवीं-बारहवीं के लिए यह व्यवस्था पहले से थी तो इनसे जुड़ी नवीं और ग्यारहवीं कक्षा को भी इनके साथ किया जाना जरूरी हो गया था।
निर्धारित संख्या से अधिक एडमिशन नहीं दे सकेंगे-
सीबीएसइ की गाइड लाइन के अनुसार तय संख्या से एक भी बच्चा अधिक क्लास में नहीं बैठेगा, यानि किसी स्कूल की नवीं क्लास में दो सेक्शन है और दोनों में चालीस- चालीस बच्चे हैं तो एक भी बच्चे को एडमिशन देने का मतलब तीसरा सेक्शन हो, ऐसे में निर्धारित संख्या से अधिक पर एडमिशन भी मुश्किल होगा।
नहीं हो सकेगी गड़बड़ी-
सीबीएसई बोर्ड ने सभी स्कूलों से इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है पर ऑनलाइन इस सिस्टम में इसकी संभावना जीरो है। पूरा प्रोसेस ऑनलाइन होगा। बच्चों के पेरेंटस सभी आवश्यक दस्तावेज व शपथ पत्र देंगे। यदि कोई स्कूल गड़बड़ करके दो-तीन एडमिशन कर भी लेगा तो उनका एनरोलमेंट- रजिस्ट्रेशन कैसे होगा, यह पोल अपने आप गड़बड़ी का खुलासा कर देगी। इसलिए इसमें चोरी-छीपे एडमिशन नहीं हो सकेंगे।
प्रवेश में इनको मिलेगी प्राथमिकता
सूत्रों ने बताया कि गाइड लाइन के अनुसार पेरेंटस के नौकरी अथवा बिजनेस ट्रांसफर और आवास बदलने या फिर बच्चे के हॉस्टल से घर पर रहने की अनिवार्यता को प्रमुखता दी गई है। इसके साथ पुराने स्कूल में आगे कक्षा न होना या फिर इच्छित सब्जेक्ट नहीं होने का कारण भी एडमिशन में सहायक होगा। स्कूल दूर होना या फिर उसमें पढ़ाई अच्छी न होने को भी इसका आधार बनाया गया है। हालांकि अभिभावकों को यह दावा करना होगा कि पुराने स्कूल में पढ़ाई सही नहीं होने की वजह से वे स्कूल बदल रहे हैं। इसमें पुराना स्कूल संचालक, प्रिंसीपल से भी बच्चे की पढ़ाई पर टिप्पणी दी जाएगी। ऐसी स्थिति में यह मामला थोड़ा अधिक मुश्किल है, क्योंकि कोई स्कूल अथवा नया स्कूल जहां बच्चे को प्रवेश मिल रहा हो, इस तरह के विवाद को पैदा करेंगे। जबकि बोर्ड में एडमिशन के कारण में इसे भी अहम माना गया है।
हर नए छात्र की बनेंगी फाइल-
सूत्रों ने बताया कि किसी दूसरे स्कूल से एडमिशन के लिए आए हर स्टूडेंट की फाइल बनेगी। पहले चरण में तो संबंधित प्रिंसीपल यह जांच लेगा कि बच्चे का किस क्राइट एरिया में प्रवेश हो सकता है। बिना किसी कारण बच्चे के अभिभावक को एडमिशन देने से मना कर दिया जाएगा। नियम-शर्तों के अनुसार स्टूडेंट के फार्म भरने के साथ संबंधित दस्तावेज व दो शपथ-पत्र पेश होंगे। स्वीकृति में बीस- बाईस दिन लगेंगे। सब कुछ ऑनलाइन होगा। जानकारों ने बताया कि एडमिशन से जुड़े कई मामले पूर्व में कोर्ट में जा चुके हैं, इसके बाद बोर्ड ने गाइड लाइन जारी की है।

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