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अब कोरोना इलाज की दरें तय,अधिक दर लेने पर होगी कार्यवाही

जयपुर। कोरोना के खिलाफ जंग में आखिरकार गहलोत सरकार ने देर से ही सही पर प्रदेशवासियों के लिए राहत भरा कदम उठा ही लिया। सरकार ने शुक्रवार देर रात एक अहम् फैसला लेते हुए निजी अस्पतालों में कोरोना जांच और मरीज़ के लिए बेड की दरें तय कर दीं। सरकार के इस फैसले से ठीक पहले शुक्रवार के दिन ही सुबह सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोरोना जांच के नाम पर देश भर में अलग-अलग दरें वसूले जाने को लेकर चिंता जताई थी और सभी राज्यों में सामान दरें किये जाने के सम्बन्ध में आदेश दिए थे।
ये लिया गया है फैसला
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना महामारी से लडऩे के क्रम में प्रदेश के निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के बिल को नियत्रिंत करने की दिशा में देर रात महत्वपूर्ण फैसला लिया। प्रदेश में निजी लैब कोरोना टेस्ट के लिए 2 हज़ार 200 रूपये प्रति जांच जबकि कोरोना के इलाज के लिए भर्ती मरीजों के लिए सामान्य बेड का किराया 2 हज़ार रूपये प्रतिदिन और वेन्टीलेटर सहित आईसीयू बेड का 4 हज़ार रूपये प्रतिदिन की दर तय कर दी। सरकार के आदेश के बाद निजी अस्पताल इस तय दर से अधिक नहीं वसूल सकेंगे
मुख्यमंत्री गहलोत ने कोरोना संक्रमण की स्थिति पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर दो घंटे से ज्यादा समय तक हुई समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया। उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों से अधिक बिल की वसूली ना हो। इसके लिए महामारी अधिनियम सहित अन्य प्रावधानों के तहत आदेश जारी किए जाएं और उनकी सख्ती से पालना हो। उन्होंने कहा कि मरीजों से अधिक पैसा वसूलने वाले अस्पताल या लैब के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ये दिए हैं सुप्रीम कोर्ट ने आदेश
देश में कोरोना संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के मरीजों और शवों के प्रबंधन में बरती जा रही लापरवाही का स्वत: संज्ञान लिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोरोना टेस्ट के लिए देश में एक समान रियायती दर सुनिश्चित की जाएं। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही सभी हॉस्पिटलों के कोरोना वार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कहा कि एक्सपर्ट की टीम लगातार हॉस्पिटलों का दौरा करें और कमियों को दूर करने का प्रयास करें। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र सभी राज्यों को कोरोना टेस्ट के लिए रियायती दरें तय करने के लिए कहे। इस केस में सुनवाई कर रही जस्टिस अशोक भूषण , संजय किशन कौल और एम.आर. शाह वाली पीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार से एक कमेटी का गठन करने के लिए कहा। यह कमेटी राज्यवार कोरोना टेस्ट की दरें सुनिश्चित कराने का करे।
केस में सुनवाई कर रहे जस्टिस शाह ने केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कई राज्यों कोरोना टेस्ट की दर 2,200 रुपये है, जबकि कुछ में 4500 रुपए लिए जा रहे है। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि टेस्ट की रियायती दरें सुनिश्चित करना केंद्र सरकार का काम है कोर्ट का नहीं।

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