
अब कॉलेज कें नियम करने पड़ेगे फॉलो नही चलेगी सेंटिग






अजमेर। कॉलेज को सम्बद्धता, सीट वृद्धि और परीक्षा केंद्र बनाने की आड़ में हुए घूसकांड के बाद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने व्यवस्थाओं में बदलाव किया है। जिन कॉलेज ने सम्बद्धता/परीक्षा केंद्र के लिए आवेदन किए हैं, उनकी त्रि-स्तरीय जांच होगी। कमियों की पूर्ति और पुख्ता निरीक्षण और नियमों पर खरा उतरने वाले को ही सम्बद्धता मिलेगी। पिछले साल कॉलेज को सम्बद्धता, सीट वृद्धि और परीक्षा केंद्र बनाने की एवज में हुए घूसकांड से विवि की साख प्रभावित हुई है। कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी ने कामकाज के विकेंद्रीकरण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बी.एम.शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। इसके सुझावों पर सत्र 2021-22 से अमल किया जाएगा। यूं करेगा विश्वविद्यालय कामकाज विवि के अध्यादेश 70-ए के तहत लिए जाएंगे आवेदन विषय/संकायवार डीन का बनाया जाए बोर्ड ऑफ गर्वनर्स कॉलेज के आवेदनों की होगी त्रि-स्तरीय स्क्रूटनी राज्य सरकार की एनओसी पर लिया जाएगा कॉलेज से शपथ पत्र कॉलेज को आवेदनों में रही कमियों को करना होगा पूरा सम्बद्धता समिति दोबारा करेगी आवेदनों की जांच कुलपति अपने स्तर पर करा सकेंगे आवेदन की पुन: जांच उच्च स्तरीय पैनल से कुलपति नियुक्त करेंगे निरीक्षण दल निरीक्षण के दौरान कॉलेज की वीडियोग्राफी-फोटो पैनल रहेंगे कोड म विवि नियमानुसार कॉलेज को सम्बद्धता देगा। कॉलेजों के निरीक्षकों के पैनल गोपनीय और कोड भाषा में रखे जाएंगे। इसकी जानकारी सिर्फ कुलपति को होगी। आवेदनों की एकेडेमिक विभाग, सम्बद्धता समिति और कुलपति स्तर पर जांच कराई जाएगी। सम्बद्धता को आमदनी का जरिया नहीं बनाया जाएगा। 14 साल बाद दिखाई दी जमीन, हैरान रह गए लोग अजमेर. उच्च शिक्षा विभाग को 14 साल बाद कन्या महाविद्यालय के नाम से आवंटित जमीन की याद आई। विभाग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने हलका पटवारी को भेजकर कायड़ रोड स्थित जमीन से झाडिय़ां और अतिक्रमण हटवाए। मंगलवार को जमीन को नपवाया जाएगा। साल 2007-08 में सरकार ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय स्थित चौराहे पर 32 बीघा जमीन राजकीय कन्या महाविद्यालय को आवंटित की। छात्राओं की आवाजाही में परेशानी को देखते हुए महाविद्यालय ने वहां भवन बनाने से इन्कार कर दिया। बाद में सरकार ने 12 बीघा जमीन लॉ कॉलेज को आवंटित कर दी। कॉलेज से सटी 20 बीघा जमीन पर चाय की थडिय़ां, झुग्गी-झौंपड़ी बन गईं। बीते फरवरी में ‘ बरसों पहले आवंटित जमीन, अब ढूंढ रहा उच्च शिक्षा विभाग ’शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।


