घी जांचने का पैरामीटर ही नहीं, हर आटे की नमकीन सही

घी जांचने का पैरामीटर ही नहीं, हर आटे की नमकीन सही

बीकानेर। केन्द्र सरकार ने देशभर में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए फूड सेफ्टी एक्ट 2006 तो बना दिया लेकिन इस एक्ट की खामियों व लचर क्रियान्वति के कारण आमजन को न केवल मिलावटी खाद्य वस्तुएं खरीदनी पड़ रहीं है बल्कि इनका उपयोग भी करना पड़ रहा है। नए एक्ट में किसी भी आटे से बनी नमकीन को मिलावटी नहीं माना है चाहे वह चावल या मक्का की ही न हो। देशी घी में मिलावट पकडऩे के लिए नए पैरामीटर में घी के कॉलम में पोलेंस्की वैल्यू का टेस्ट शामिल ही नहीं किया गया है। पोलेंस्की वैल्यू ही वो पैमाना है, जिसमें देशी घी में वेजीटेबल आयल की मिलावट की मात्रा का पता चलता है। इतना ही नहीं कानूनी पेचिदगियों के कारण नए एक्ट के तहत अभी तक कुछ केसों को छोड़ दें तो अधिकतर केसों में मिलावटखोरों को सजा तक नहीं मिल पाई है।
जुर्माना जमा कराने से बचते है व्यापारी
व्यापारी को लाइसेंस -रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण एक माह पहले कराना अनिवार्य है। अन्यथा 100 रुपए के हिसाब से जुर्माना देना पड़ता है। ऐसे में समय पर नवीनीकरण नहीं कराने वाले व्यापारी जुर्माना देने की बजाय नया लाइसेंस ले लेते है।
एगमार्क प्रमाण पत्र लेकर मिलावट पर छूट
एक तरफ तो रिफाइंड सोयाबीन तेल में राइस ब्रांड तेल मिलाने या अन्य कोई खाद्य तेल मिलाने पर मिलावट की श्रेणी में आता है। जबकि एक्ट के अनुसार एगमार्क प्रमाण पत्र लेने के बाद इस प्रकार ब्लेंडेड एडीबल ऑयल तैयार कर बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
जांच में केमिकल मिला तो सजा नहीं
फल-सब्जियों में पेस्टीसाइड की जांच होगी, लेकिन जांच में गड़बड़ी तो पकड़ी जा सकेगी मगर कार्रवाई में सजा नहीं होगी। फल-सब्जियों को प्राइमरी फूड माना है। जो कि प्रकृति से निर्मित है न कि मानव निर्मित। एक्ट में किसी के खिलाफ जवाबदेही तय नहीं की है। एक्ट में में फल-सब्जियों में हैवी मैटल व पेस्टीसाइड की जांच केवल एक नमूना लेकर की जा सकती है। जांच में केमिकल पाए जाने पर फल-सब्जियों को मौके पर ही नष्ट कराकर आमजन को जागरूक किया जाएगा।
एक्ट में ये है खामियां
नमकीन में आटे का इस्तेमाल करने और बेसन से बनने वाली नमकीन में चावल, मक्का व अन्य किसी भी प्रकार का आटा डालकर बनाने पर रोक नहीं है। जबकि नमकीन बेसन से ही बनती है, लेकिन एक्ट में बेसन से बनने का कहीं उल्लेख नहीं है। इसकी आड़ में व्यापारी सस्ते के चक्कर में महंगे दामों में किसी भी प्रकार के आटे का उपयोग कर नमकीन बना रहे हैं। वहीं घी के कॉलम में पोलेंस्की वैल्यू का टेस्ट शामिल नहीं है। पोलेंस्की वैल्यू ही वो पैमाना है, जिसमें वेजीटेबल आयल की मिलावट की मात्रा पता चलती है। नतीजनत घी की जांच तो होती है लेकिन वेजिटेबल ऑयल की मात्रा कितनी है ये पता नहीं चल पाता। दूध से बने बटर और बटर ऑयल में तो पोलेंस्की वैल्यू का कॉलम एफएसएसएआई ने दिया है लेकिन घी में से यह हटा दिया।

Join Whatsapp
खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |