
बिना परीक्षा के प्रमोट करना बहुतों को नहीं भाया






खुलासा न्यूज,बीकानेर। बुधवार को ही राजस्थान बोर्ड ने एक से नवीं और ग्यारहवीं के विद्यार्थियों को भी परीक्षा से राहत देते हुए प्रमोट किया है, जबकि दसवीं व बारहवीं की परीक्षा को स्थगित कर दिया है।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस फैसले से बच्चे भले ही खुश नजर आ रहे हों, राजनीतिक दल भी संतुष्ट हों पर अभिभावक के साथ निजी स्कूल ही नहीं सरकारी स्कूल के शिक्षक भी खुश नहीं हैं। और तो और सरकारी स्कूल के अध्यापकों के साथ विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि भी इसे उचित नहीं मान रहे। उनके अपने-अपने तर्क हैं, कोरोना महामारी में लगातार दूसरे साल छोटी कक्षा के बच्चों को अगली क्लास में भेजना उन्हें तर्क संगत नहीं लगता। शिक्षा से जुड़े कुछ अधिकारियों दबे हुए स्वरों में कहा कि यह सही है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण में परीक्षा करवाना दूभर है पर इससे बच्चों की नींव कमजोर होती है। तकरीबन एक साल से वैसे ही स्कूल से दूर रहे बच्चे फाइनल एग्जाम की तैयारी कर रहे थे, अब ऐसे में बिना परीक्षा के पास होना उचित नहीं है।
अभिभावक प्रेमलता व्यास का कहना है कि परीक्षा भले ही और आगे सरकार दी जाए या फिर टुकड़ों में हो पर बच्चों को बिना इसके प्रमोट करना ठीक नहीं लगता। ऐसे बच्चों के साथ भी अन्याय है जो बेहतर प्रदर्शन के लिए सालभर से पढ़ाई कर रहे थे। थोड़े-थोड़े गेप में परीक्षा करवा ली जाती तो अच्छा होता। प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस,राजस्थान के प्रदेश समन्वयक गिरीराज खैरीवाल का कहना है कि राज्य में लगातार दूसरे वर्ष उन नौनिहालों को बिना परीक्षा दिए अगली कक्षा में क्रमोन्नति दी गई है, जिन्हें सीखने की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। बिना सीखे इस तरह से प्राईमरी लेवल के स्टूडेंट्स को प्रमोट करना सरकार की मजबूरी मान सकते हैं लेकिन क्या यह मजबूरी इन स्टूडेंट्स के फ्यूचर को नुकसान नहीं पहुंचा रही? ऐसे में विशेषकर प्राईमरी और अपर प्राईमरी लेवल के स्टूडेंट्स की शिक्षा का विकल्प तलाश किया जाना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन, एज्यूकेशनिस्ट और अभिभावक भी स्वीकार कर रहे हैं कि आनलाईन एज्यूकेशन इन स्टूडेंट्स के लिए बेहतर विकल्प नहीं है। इसलिए इन स्टूडेंट्स के लिए सीखने का बेहतर विकल्प तलाश किया जाना अत्यन्त ही जरूरी है। यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य गहरे गर्त में जा सकता है। सरकार, समाज और शिक्षक सभी को चाहिए की इस गंभीर चुनौती को समझें और देश के नौनिहालों के लिए इस कोरोना संक्रमण काल में बेहतर एज्यूकेशन सिस्टम हेतु सार्थक प्रयोग और प्रयास करें। दुर्गाराम शर्मा ने कहा कि बिना परीक्षा के प्रमोट करना बेहद गलत और चिंताजनक है। इससे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। उमा सुथार का कहना है कि जहां तक परीक्षा स्थगित करने अथवा प्रमोट करने की बात है तो कोरोना संक्रमण से बचना पहली प्राथमिकता है। ठीक है कि अत्यावश्यक दबाव बनाकर परीक्षा क्यों ली जाए, जबकि कोरोना संक्रमण दिन प्रति दिन बढ़ रहा है।
कहीं खुशी कहीं गम
जिले के दसवीं सीबीएएई बोर्ड की परीक्षा की तैयारी में जुटे रक्षित इसे गलत बताते हैं, उसका कहना है कि उसने अच्छी तैयारी की थी, जबकि राजेश, मुनमुन और वर्षा को बिना परीक्षा दिए प्रमोट होना बेहतर लग रहा है। राजस्थान बोर्ड की ग्यारहवीं कक्षा की अलका और सुनंदा भी कहती हैं कि कोरोना के चलते पढ़ाई तो हो नहीं पाई, स्कूल ही नहीं चले फिर परीक्षा का क्या फायदा।


