बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज के अशैक्षणिक कर्मचारियों को वेतनवृद्धि से वंचित किया, नाराजगी बढ़ी

बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज के अशैक्षणिक कर्मचारियों को वेतनवृद्धि से वंचित किया, नाराजगी बढ़ी

बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज के अशैक्षणिक कर्मचारियों को वेतनवृद्धि से वंचित किया, नाराजगी बढ़ी
बीकानेर। अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर में कार्यरात अशैक्षणिक कर्मचारी जिनकी मासिक आय 20000 प्रतिमाह से भी कम है यह सभी अशैक्षणिक कर्मचारी महाविद्यालय में पिछले 20 से 25 वर्ष से कार्यरत हैं महाविद्यालय की बोर्ड आफ गर्वनिंग ने इन सभी अशैक्षणिक कर्मचारियों को हर वर्ष 5त्न से वेतन बढ़ोतरी के आदेश दे रखे हैं और आज दिनांक तक पूर्व अधिकारियों ने 5त्न से वेतन बढ़ोतरी देते आए हैं परंतु इस वर्ष 2025 में जब यह बढ़ोतरी देने की बात आई तो सभी संबंधित अधिकारियों ने हाथ खड़े कर लिए। प्राचार्य महोदय ने बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय की स्वीकृति न होने का बहाना बता दिया, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति ने कुछ और बहाना बता दिया, वित्त नियंत्रण ने अपनी असमर्थता बता दी, कुलसचिव ने कुछ और बहाना बता दिया। कुल मिलाकर यह है कि शोषण हमेशा की तरह गरीबों पर होता आया है और गरीबों पर ही होता रहेगा। आज के युग में जहां संभाग स्तर के महाविद्यालय में मात्र ₹20000 में कार्यरत अशैक्षणिक कर्मचारी का घर चलना मुश्किल हो रहा है वहीं दूसरी ओर इसी महाविद्यालय में 2005 और 06 में नियुक्त अनुबंधित लेक्चर आज भी पद पर कार्यरत हैं और महीने के 2 लाख से अधिक का वेतन उठा रहे हैं यही नहीं उन अनुबंधित लेक्चररों ने 2005 से लेकर आज तक सभी वित्तीय लाभ उठा लिए हैं और इस बात का ज्ञान प्राचार्य को, विश्वविद्यालय के कुलपति को ,कुलसचिव को, वित्त नियंत्रक को सभी को बार-बार विभिन्न माध्यम से सूचना प्रेषित कर दी गई है। सबको ज्ञात होते हुए भी किसी ने आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की और विश्वविद्यालय का प्रशासन करोड़ों रुपए के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट को पास करते हुए राजकोष को हानि पहुंचा रहा है, परंतु दूसरी तरफ वहीं गरीब दबे हुए अशैक्षणिक कर्मचारियों को जहां 5त्न बढऩे से मात्र उनके 1000 या ₹500 महीने की वेतन बढ़ोतरी होती है वहां सारे नियम , कायदे, कानून सब लागू हो जाते हैं। यह तो वही बात है गरीब की जोरू सबकी भाभी ।
परंतु ऐसा इस बार नहीं होगा ।
मीडिया बंधुओं की तरफ से यह मामला सुशासन सरकार तक पहुंच जाया जाएगा और ना सिर्फ राजस्थान बल्कि दिल्ली तक यह मामला जाएगा और हम सरकार को अपेक्षा करेंगे कि शोषण हमेशा गरीबों का ही क्यों हो। एक तरफ जहां अनुबंध पर लगे लेक्चरर महीने के लाखों रुपए उठा रहे हैं और पूरा प्रशासन उनका सहयोग दे रहा है वहीं दूसरी ओर एक गरीब और अशैक्षणिक कर्मचारी जिसका घर चलाना महंगा हो रहा है उस पर सारे नियम कायदे कानून थोपे जा रहे हैं।
यह अब और नहीं होगा
इस का पुर जोर लगा कर विरोध होगा और न्याय ले के रहा जाएगा
अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर की मजबूर और गरीब अशैक्षणिक कर्मचारी जिनकी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के प्रशासन द्वारा कोई सुनवाई नहीं हो रही द्वारा हाथ जोड़ कर न्याय के लिए गुहार

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