मुख्यमंत्री के अतिरिक्त कोई पद स्वीकार नहींः सचिन पायलट - Khulasa Online मुख्यमंत्री के अतिरिक्त कोई पद स्वीकार नहींः सचिन पायलट - Khulasa Online

मुख्यमंत्री के अतिरिक्त कोई पद स्वीकार नहींः सचिन पायलट

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में फिर हलचल शुरू हुई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी के बुलावे पर शुक्रवार शाम दिल्ली पहुंचे पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को पार्टी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हुई हार के बाद अब राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी आलाकमान ने तैयारी शुरू कर दी है। इस सिलसिले में राहुल और प्रियंका ने पायलट को दिल्ली बुलाकर बात की। सूत्रों के अनुसार, पायलट ने उनसे साफ कह दिया कि वह राजस्थान छोड़कर नहीं जाएंगे, चाहे बिना किसी पद पर ही पार्टी के लिए काम कर लेंगे। पायलट ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव बनने के प्रस्ताव से भी इन्कार किया है। वह मुख्यमंत्री के अतिरिक्त कोई पद स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। यदि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो वह बिना पद के पार्टी के लिए काम करेंगे। हालांकि उन्होंने साफ किया कि ऐसी स्थिति में विधानसभा चुनाव परिणाम की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। लोकसभा चुनाव में भी पार्टी जहां कहेगी, वहां प्रचार करेंगे लेकिन फिर सीटें जितने की जिम्मेदारी सीएम अशोक गहलोत की होगी।

अजय माकन सत्ता और संगठन से नाखुश

सात साल तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे सचिन पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से करीब एक घंटे तक मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों ने पायलट से राज्य के हालात और अशोक गहलोत सरकार की स्थिति के बारे में चर्चा की। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने भी राहुल गांधी को राज्य में पार्टी के हालात ठीक नहीं होने की बात कही है। अजय माकन सत्ता व संगठन के कामकाज से नाखुश बताए जाते हैं। सचिन पायलट शुक्रवार को अजमेर दौरे पर थे, लेकिन इस बीच अचानक राहुल के बुलावे पर वह दिल्ली पहुंचे थे। राहुल और प्रियंका के अतिरिक्त राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने भी पायलट के साथ चर्चा की है। पायलट ने पार्टी के सदस्यता अभियान की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है। पायलट तय लक्ष्य के अनुसार, सदस्य नहीं बनाए जाने को संगठन की कमजोरी बताया है। पायलट खेमे के नेताओं का मानना है कि विधानसभा के मानसून सत्र के बाद राज्य सत्ता और संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकता है।

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