लोन महंगे नहीं होंगे, आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी:ब्याज दरों में लगातार छठी बार बदलाव नहीं, RBI ने 6.5% पर रेपो रेट बरकरार रखी - Khulasa Online लोन महंगे नहीं होंगे, आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी:ब्याज दरों में लगातार छठी बार बदलाव नहीं, RBI ने 6.5% पर रेपो रेट बरकरार रखी - Khulasa Online

लोन महंगे नहीं होंगे, आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी:ब्याज दरों में लगातार छठी बार बदलाव नहीं, RBI ने 6.5% पर रेपो रेट बरकरार रखी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार छठी बार ब्याज दरों बदलाव नहीं किया है। RBI ने ब्याज दरों को 6.5% पर जस का तस रखा है। यानी लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी। RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थीं।

6 फरवरी से चल रही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज यानी गुरुवार को दी। ये मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI ने इससे पहले दिसंबर हुई बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी।

RBI की MPC में छह सदस्य हैं। इसमें बाहरी और RBI अधिकारी दोनों हैं। गवर्नर दास के साथ, RBI के अधिकारी राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, और माइकल देबब्रत पात्रा, डिप्टी गवर्नर हैं। शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य हैं।

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने 2 और फैसले लिए हैं

  • RBI इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की समीक्षा करना चाहता है जिसे आखिरी बार 2018 में अपडेट किया गया था। रिवाइज्ड नॉर्म्स को फीडबैक के लिए स्टेकहोल्डर्स के साथ शेयर किया जाएगा।
  • SMS-बेस्ड OTP AFA यानी एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन के रूप में पॉपुलर हो गया है। इसलिए डिजिटल पेमेंट की सिक्योरिटी बढ़ाने के लिए, MPC ने ऑथेंटिकेशन के लिए एक प्रिंसिपल बेस्ड फ्रेमवर्क बनाने का प्रस्ताव दिया है।

महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है रेपो रेट
RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा।

बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

इसे उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

RBI ने महंगाई और GDP अनुमान भी जारी किया

  • FY25 में रियल GDP ग्रोथ अनुमान को 6.70% से बढ़ाकर 7% कर दिया है।
  • FY25 के लिए RBI ने रिटेल महंगाई का अनुमान 4.50% दिया है।

जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं?

1. दिसंबर में रिटेल महंगाई 5.69%
रिटेल महंगाई दिसंबर में बढ़कर 5.69% पर पहुंच गई है। यह महंगाई का 4 महीने का उच्चतम स्तर है। सिंतबर में महंगाई 5.02% रही थी। वहीं नवंबर में यह 5.55% और अक्टूबर में 4.87% रही थी। खाने-पीने के सामान की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ी है।

2. थोक महंगाई दर 0.73% रही थी
थोक महंगाई दिसंबर में बढ़कर 0.73% पर पहुंच गई है। यह महंगाई का 9 महीने का उच्चतम स्तर है। मार्च में महंगाई 1.34% रही थी। वहीं नवंबर में यह 0.26% और अक्टूबर में -0.52% रही थी। खाने-पीने के सामान की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ी है।

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

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