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बीकानेर से खबर- उम्र 42, एचआरसीटी स्कोर 22 , वेंटिलेटर सपोर्ट में रखा फिर भी कोरोना को दी मात

खुलासा न्यूज, बीकानेर।  सकारात्मकता और धैर्य ही सफलता की कुंजी है फिर उसके साथ घर जैसा करीबी वातावरण मिल जाए तो व्यक्ति कोरोना जैसे रोग ही क्या जीवन के किसी भी संघर्ष में कामयाबी की मंजिल हासिल कर सकता है।

ऐसा ही सकारात्मक, धैर्य से भरा और परिवार जैसे सहयोग से लबरेज किस्सा है श्री डूंगरगढ़ के 45 वर्षीय गजानंद बोहरा का जिन्होंने 21 दिन के कड़े संघर्ष के बाद कोरोना जैसे विकट रोग को हराकर जिंदगी को जीत लिया।

पहले से ही उच्च रक्तचाप के रोगी श्री डूंगरगढ़ के गजानंद बोहरा को जब कोविड हुआ तो उनकी स्थिति बड़ी गंभीर हो गई थी। सांसे उखड़ने लगी थीं और सेचुरेशन गिरकर सत्तर पहुंच गया था। चिकित्सकों ने जब एचआरसीटी करवाई तो स्कोर भी सर्वाधिक के निकट कुल 22 पाया। गजानंद को जीवन रक्षा हॉस्पिटल के कोविड को समर्पित हंसा गेस्ट हाउस वाली फैसिलिटी के आईसीयू में भर्ती किया गया किंतु स्थिति इतनी विकट थी कि उनके बचने की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। उपचार के दौरान उनको वेंटिलेटर सपोर्ट तक पर रखना पड़ा। न तो उनके स्वास्थ्य में सुधार जान पड़ता था और ना ही पहले 15 दिनों तक वे बोल पाने में भी सक्षम थे।

इतनी सब नकारात्मक स्थितियों के बीच कुछ सकारात्मक पहलु भी थे जो गजानंद के लिए संजीवनी साबित हुए। जीवन रक्षा हॉस्पिटल के कोविड सेंटर के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. विकास पारीक और अन्य मेडिकल ऑफिसर्स तथा नर्सिंगकर्मियों ने उन्हें न केवल उपचार सुविधाएं ही उपलब्ध करवाई किंतु उन्हें बिल्कुल घर जैसा स्नेहिल वातावरण भी दिया। सभी स्टाफ और डॉक्टर उन्हें हमेशा सकारात्मक रहने और इस बीमारी से लड़ने को प्रेरित करते रहते थे, इसी बीच कोविड सेंटर के प्रबंधन और चिकित्सकों को पता चला कि उनकी वैवाहिक वर्षगांठ है तथा ऐसी स्थिति में वे जीवन का संघर्ष कर रहे हैं तो उन्हें उत्साहित करने के लिए सभी ने वहीं कोविड सेंटर में उनकी वैवाहिक वर्षगांठ को मनाने का निश्चय किया। सभी ने मिलकर गजानंद को शुभकामनाएं दीं और उनसे केक भी कटवाया।

सभी लोगों के इतने वातसल्य भरे व्यहवार को देखकर गजानंद को असीम आनंद की अनुभूति हुई और उन्होंने पूरे उपचार के दौरान उत्साहित रहकर इस बीमारी से लड़ने का संकल्प लिया। कुल 21 दिन अस्पताल में भर्ती रहकर जीवन की जंग जीतने वाले गजानंद को 8 जून को डिस्चार्ज कर सकुशल घर भेज दिया गया। घर जाते समय गजानंद ने डॉ. विकास पारीक के साथ-साथ जीवन रक्षा हॉस्पिटल कोविड सेंटर के प्रत्येक कार्मिक का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि इन 21 दिनों के संघर्ष में मुझे हरदम यही महसूस हुआ कि इन चिकित्साकर्मियों के रूप में मेरे अपने घर वाले पूरी तन्मयता से मेरी सेवा में जुटे हुए हैं।

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