
न नए राशन कार्ड बने ,न महिला बनी मुखिया






-कागजों में सिमटी सरकार की योजना, पॉश मशीनों की बाध्यता से हजारों —परिवार राशन से वंचित
बीकानेर। प्रदेश में वर्तमान सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरूआत में ही महिला सशक्तिकरण के नाम पर राशन कार्ड में महिलाओं को मुखिया बनाने की घोषणा की थी लेकिन योजना आठ माह बाद भी कागजों में सिमटी हुई है। इस योजना के चक्कर में नए राशन कार्ड बनाने का कार्य भी अधर में अटका पड़ा है। वर्तमान में प्रदेश में प्रचलित राशन कार्डों की मियाद पूरी हो चुकी है। चुंकि नए राशन कार्ड का काम अभी शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में पुराने राशन कार्डों का चलन बंद नहीं किया गया है। हालांकि सरकार ने किसी भी राशन डिपो से राशन लेने की सुविधा शुरू करने के भी दावे किए थे। इसके पीछे भाजपा सरकार के समय में शुरू की गई पॉश मशीनों की उपयोगिता को कम करना था लेकिन यह योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई है। स्थिति यह है कि कामकाज की तलाश में प्रदेश के दूसरे शहरों में जाने वाले गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
यह थी योजना
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार ने नए राशन कार्डों में महिला को मुखिया बनाने की योजना बनाई है। यह योजना पूर्व भाजपा सरकार की भामाशाह योजना की तरह है। इसमें परिवार में पुरुष की जगह सबसे उम्रदराज महिला को मुखिया बनाया जाएगा। उसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों का नाम जोड़ा जाएगा।
दोहरी नीति क्यों?
एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण की बात कह रही है और राशन कार्ड में महिला को मुखिया बनाने जा रही है, वहीं दूसरी ओर खाद्य सुरक्षा योजना में पंजीकृत महिला निर्माण श्रमिक को नजर अंदाज किया जा रहा है। प्रदेश में ऐसे अनेक जिले हैं, जिनके ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं व पुरुष दोनों ही परिवार को पालने के लिए निर्माण श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं। यह दूसरी बात है कि श्रमिक के रूप में पंजीकरण केवल महिला का ही हो पाया है लेकिन उपखंड स्तर पर महिला निर्माण श्रमिकों के आवेदनों को वापस लौटाया जा रहा है।
राशन डिपो लूट रहे चांदी
पॉश मशीन पर एक बार अंगूठा लगाने के बाद उसी डिपो से राशन लेने की बाध्यता के चलते प्रदेश में हजारों परिवार प्रतिमाह खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन नहीं ले पा रहे हैं। कई महीनों बाद अपने मूल डिपो पर पहुंचकर अंगूठा लगाने पर उन्हें एक माह का ही राशन दिया जाता है, जबकि सरकार प्रतिमाह राशन का आवंटन करती है। एक ही डिपो से राशन लेने की बाध्यता के चलते कई राशन डीलर चांदी कूट रहे हैं।

