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‘न खाता, न बही, जो मंगतराम कहे, वही सही

आरसीएस ने खन्ना का आदेश किया निरस्त, भविष्य के लिए किया पाबंद
खुलासा न्यूज,बीकानेर। सहकारिता रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने, राजस्थान सहकारिता सेवा के जूनियर ज्वाइंट रजिस्ट्रार मंगतराम खन्ना उर्फ डॉ. एम.आर. खन्ना के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जो बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार की दुकानों को खाली करने के लिए जारी किया गया था। साथ ही, रजिस्ट्रार ने मंगतराम को पाबंद किया है कि वो भविष्य में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी करने की हिमाकत न करे। मंगतराम ने इससे पहले भी, अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर, भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त भंडार के एक कर्मचारी को बहाल कर दिया था, रजिस्ट्रार ने उस आदेश को भी रद्द कर दिया था।
अपने कैडर से ऊंची और एडिशनल रजिस्ट्रार के कैडर वाली खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार, बीकानेर खंड की पोस्ट हथियाने के बाद से खन्ना ने बीकानेर सहकारी उपभोक्ता भंडार पर अपनी कुटिल दृष्टि डाल रखी है। हाल ही में मंगतराम ने बीकानेर सहकारी भंडार लि. के सम्बंध में दो आदेश जारी किये, ये दोनों ही आदेश भंडार के लिए विशुद्ध घाटे का कारक हैं और इन दोनों आदेश को सहकारिता रजिस्ट्रार निरस्त कर चुके हैं। एक ही व्यक्ति की शिकायत पर दोनों आदेश रद्द हुए हैं, लेकिन दोनों ही मामलों में भंडार के चेयरमैन लाखन सिंह और महाप्रबंधक अमीलाल सहारण की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर वे किस लालच में खन्ना के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जारी किये जाने वाले आदेश की पालना के लिए लालायित रहते हैं।
भंडार की दुकानों को खाली करवाने का कुत्सित प्रयास
हाल ही में मंगतराम खन्ना उर्फ डॉ. एम.आर. खन्ना ने बीकानेर सहकारी भंडार की दो दुकानों को खाली करके, दुकान मालिक को कब्जा सौंपने का आदेश जारी किया था, जिसे रजिस्ट्रार ने निरस्त कर दिया। खन्ना, बतौर एडिशनल रजिस्ट्रार, भंडार का कुछ नहीं लगता, लेकिन उसे जहां से ‘अर्थÓ की भीनी-भीनी महक आती है, वहीं फैल जाता है। फिर अधिनियम, नियम, उपनियम, सब धरे रहे जाते हैं और एक ही फार्मूला चलता है। ‘न खाता, न बही, जो मंगतराम कहे, वही सही।Ó भंडार की दुकानों के सम्बंध में जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार बीकानेर के समक्ष कोई प्रकरण लम्बित नहीं है, लेकिन फिर भी मंगतराम ने, बैक डेट में पत्र जारी कर, भंडार को निर्देशित किया कि केईएम रोड पर स्थित दोनों दुकानों को खाली कर, दुकान मालिक को कब्जा सौंप दें।
मालिकाना हक के दस्तावेज सौंपने से पहले ही आदेश जारी
यह उल्लेखनीय है कि 16 अप्रेल को मंगतराम ने जब भंडार के महाप्रबंधक अमीलाल सहारण को बीकानेर की सबसे प्राइम लोकेशन माने जाने वाली केईएम रोड पर निर्मित रतनदीप भवन में स्थित दोनों दुकानें खाली कर, भवन मालिक को कब्जा सौंपने के लिए आदेशित किया, तब तक रतनदीप भवन के नये मालिक डॉ. मनीष भाटी ने मालिकाना हक के दस्तावेज ही भंडार प्रबंधन को नहीं सौंपे थे। भाटी द्वारा मालिकाना हक के दस्तावेज 23 अप्रेल 2021 को भंडार महाप्रबंधक अमीलाल को प्रस्तुत किये जाते हैं, जिसे जीएम द्वारा 2 जून 2021 को भंडार के चेयरमैन के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु अंकित किया जाता है। लेकिन मंगतराम दुकानें खाली करवाने के लिए 16 अप्रेल को ही सक्रिय हो जाता है।
प्राइम लोकेशन पर स्थित हैं दोनों दुकानें
भंडार के पास केईएम रोड स्थित रतनदीप भवन में दो किराये की दुकान हैं। इनमें से एक दुकान पर कपड़े का व्यवसाय एवं दूसरी दुकान में जनरल स्टोर का संचालन किया जा रहा है। दोनों दुकानों की औसतन वार्षिक बिक्री तीन करोड़ रुपये से अधिक है। जहां ये दुकानें हैं, वो बीकानेर की मोस्ट प्राइम लोकेशन है। भंडार द्वारा नियमित रूप से दुकानों का किराया चुकाया जा रहा है। इसी बिल्डिंग में एक बैंक व दो अन्य दुकानें भी हैं। भंडार ने जब ये दुकानें किराये पर ली, तब इसके मालिक विवेकशील दम्मानी और अन्नू दम्मानी थे।
शेखावत ने मोर्चा खोला
बीकानेर भंडार के जागरूक संचालक मंडल सदस्य नगेंद्रपाल सिंह शेखावत को जब खन्ना द्वारा रचित इस खेल की जानकारी मिलती है, तो वे दस्तावेज साक्ष्यों के साथ, 9 जून 2021 को रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल को पत्र लिखकर, पूरे प्रकरण से अवगत करवाते हैं। इसमें वे खन्ना की इस करतूत को रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान के दिनांक 11.08.2010 के आदेश का सीधा-सीधा उल्लंघन बताते हैं, जो कि अधिकार क्षेत्र से सम्बंधित है।
खन्ना के आदेश को बताया भ्रष्ट आचरण
शेखावत ने मंगतराम खन्ना के आदेश को निरस्त करने के साथ-साथ, भंडार के महाप्रबंधक को भंडार के हितों के अनुरूप, दुकानों के सम्बंध में कार्यवाही करने हेतु निर्देशित करने का आग्रह किया। शेखावत ने भंडार एवं उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध खन्ना द्वारा बार-बार जारी किये जाने वाले आदेश को भ्रष्ट आचरण की संज्ञा देते हुए, दुकाने खाली करने के मामले में दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करने की मांग की।
आदेश निरस्त, मंगतराम को पाबंद किया
शेखावत द्वारा प्रस्तुत तथ्यों से संतुष्ट होने के पश्चात, रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने 15 जून 2021 को एक आदेश जारी कर, बीकानेर के खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार मंगतराम खन्ना उर्फ डॉ. एम.आर. खन्ना (जिसका मूल कैडर जूनियर ज्वाइंट रजिस्ट्रार है) द्वारा जारी आदेश (286/16.04.2021) को निरस्त कर दिया, साथ ही इस पत्र (फा.11 (631)/सविरा/उप/2/2020/लूज/15.06.2021) में स्पष्ट रूप से मंगतराम को पाबंद किया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी नहीं करें।
ये तो मंगतराम की पुरानी लत है
मंत्री और राज्य सरकार के बड़े अफसरों के साथ नजदीकी की अफवाहें फैला कर साथी अधिकारियों पर रौब डालने और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी करने की मंगतराम खन्ना की पुरानी लत है। ऐसी हरकतें वो हनुमानगढ़, पाली, गंगानगर में भी कर चुका है। गंगानगर के कई प्रकरणों में मंगतराम अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना कर रहा है, जबकि तब उसे तत्कालीन सहकारिता मंत्री का सबसे प्रिय अफसर बताया जाता था। इसके बाद वह लगातार तीन साल तक बर्फ में लगा रहा, लेकिन फिर से पावर वाली कुर्सी हाथ में आते ही कलम बेकाबू होने लगी।
भंडार को क्षति पहुंचाने का दूसरा प्रयास
इससे पहले भी खन्ना भंडार के एक मामले में, भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किये गये कर्मचारी ओमप्रकाश वर्मा को बहाल कर चुका है। भंडार के महाप्रबंधक अमीलाल सहारण ने वर्मा को आनन-फानन में उसी दिन ज्वाइन भी करवा दिया। हालांकि रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल ने खन्ना का वह आदेश निरस्त कर दिया था, लेकिन वर्मा रजिस्ट्रार के आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट से स्टे ले आया, इसलिए वर्तमान में भी भंडार में कार्यरत है।
प्राइवेट कम्पनी के प्रोडक्ट बिकवा रहा है
इससे पहले मंगतराम, एक प्राइवेट कम्पनी के बायोप्रोडक्ट खरीदने के लिए लिखित में आदेश जारी कर चुका है और समय-समय पर उस कम्पनी के उत्पाद खरीदने के लिए रिमाइंडर भी देता रहता है। माल की बिक्री की प्रोग्रेस रिपोर्ट भी लेता है।

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