नफीसा फ़ातिमा ने 6 साल की उम्र में अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा

नफीसा फ़ातिमा ने 6 साल की उम्र में अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा

बीकानेर. मौलाना मोहम्मद सलीम रजवी इमाम हैदरी मस्जिद ने बताया कि रमज़ान के महीने में छोटे बच्चे रोजा नहीं रखा करते। इस्लाम के मुताबिक  7 साल से कम उम्र के बच्चे रोजा नहीं रखते लेकिन नियम को तोड़ते हुए 6 साल की नफीसा फ ातिमा ने इस रमजान का पहला रोजा रखा।

रमजान के इस पाक महीने की ओर अपने माता.पिता का रुझान, जोश और आस्था देखते हुए बच्ची ने रोजा रखने की इच्छा जताई और रखा। नफीसा फ ातिमा ने कहा कि वह पूरे महीने रोजे रखना चाहती है। इतना ही नहींए इस्लाम के सख्त नियमों को मानते हुए उसने पाक कुरआन की श्अरबी की तिलावतश् भी पढ़ना शुरू कर दिया है।

नफीसा के पिता मौलाना मोहम्मद सलीम रजवी ने बतायाए इस्लाम में 5 साल के बच्चे को रोजे रखने की इजाजत नहीं देताए लेकिन बच्ची ने अपनी जिद और आस्था के चलते रोजा रखा। जब हमने उसे रोकना चाहा और कहा कि इस बार यह बेहद मुश्किल है क्योंकि रमजान गर्मियों में है तो उसने कहा कि वह पूरा दिन घर में ही रहे गी लेकिन रोजा रखेगी।

पहली क्लास में पढ़ने वाली नफीसा ने कुरआन का एक कायदा पाठ पूरा पढ़ लिया है। रोजे के दिन जहां वयस्क लोग शाम होते-होते प्यास से तड़पने लगते हैं, नफ ीसा पहले रोजे के दिन 14 घंटों तक बगैर पैनी के रहा। शाम 7.03 बजे तक इफ्तार तक उसने कुछ नहीं खाया। पहले रोजे के लिए नफ ीसा को ईदी के रूप में कैश, नए कपड़े और खिलौने मिले। आगे वह रोजे रखेगी या नहीं, यह पूछे जाने पर उसके माता.पिता ने कहा कि उसके लिए यह बेहद मुश्किल है लेकिन नफीसा आज से आखिरी तक रोजे रखना चाहती है।

Join Whatsapp
खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |