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कांग्रेस के आपसी गुट व गुजरात चुनाव तक अटकी राजनीतिक नियुक्तियां, अभी तक 14 यूआईटी चैयरमैन बनने का इंतजार

जयपुर। राजस्थान में सीएम की कुर्सी को लेकर चल रहे झगड़े ने कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को झटका दिया है। पिछले दो सप्ताह में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच संघर्ष चरम पर आ पहुंचा है। ऐसे में प्रदेशभर की यूआईटी, प्राधिकरण और अन्य राजनीतिक नियुक्तियों की उम्मीद कर रहे नेताओं को झटका लगा है।
राजस्थान में हालिया हालातों को देखते हुए यह मुश्किल लगता है कि यूआईटी या प्राधिकरणों में जल्द नियुक्तियां हो। ऐसे में यह माना जा रहा है कि ये नियुक्तियां अब गुजरात चुनाव तक होने की संभावनाएं नहीं हैं। इससे कई नेताओं की उम्मीदों को झटका लगेगा जो यह मान रहे थे कि कम से कम सरकार के सवा साल रहते उनकी इन पदों पर नियुक्ति हो सकती है।
प्रदेशभर की यूआईटी और प्राधिकरण के चेयरमैन पद इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये किसी भी जिले के राजस्व और विकास से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण संस्थाएं होती हैं। यही वजह है कि बड़े-बड़े नेता इन पदों की लाइन में होते हैं। वर्तमान सरकार में भी प्राधिकरण और यूआईटी के लिए पूर्व मंत्री, विधायक और डिस्ट्रिक्ट कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष जैसे लोग भी दावेदार हैं।
राजस्थान में 14 यूआईटी और 3 प्राधिकरण
राजस्थान में 14 यूआईटी और 3 प्राधिकरण हैं। इनमें जयपुर, जोधपुर और अजमेर विकास प्राधिकरण शामिल हैं। इसके अलावा पिछले बजट में उदयपुर को भी प्राधिकरण बनाने की घोषणा की गई थी। मगर उसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से इनमें चेयरमैन के पद खाली हैं। यहां कलेक्टर या संबंधित अधिकारी ही इन पदों को अतिरिक्त जिम्मेदारी के रूप में संभाल रहे हैं। कुछ जगहों पर सरकार ने प्रशासक भी लगाए हैं। हालांकि जयपुर विधायक प्राधिकरण में चेयरमैन नहीं लगाने का ट्रेंड रहा है। यहां यूडीएच मंत्री ही चेयरमैन होते हैं।
पूर्व मंत्री-विधायक जैसे लोग भी रेस में
राजस्थान के अलग-अलग प्राधिकरण और यूआईटी में चेयरमैन पद पर नियुक्त होने के लिए कई महत्वपूर्ण नेता दावेदार हैं। अजमेर विकास प्राधिकरण में किशनगढ़ विधायक सुरेश टांक, राजकुमार जयपाल, दीपक असनानी जैसे कई नेता दावेदार हैं। वहीं जोधपुर विकास प्राधिकरण में रामेश्वर दाधीच, अय्यूब खान दावेदारी कर हैं। इसी तरह यूआईटी कोटा में रविंद्र त्यागी, शिवकांत नंदवाना और जफर मोहम्मद दावेदारी कर रहे हैं।
इसी तरह उदयपुर यूआईटी के लिए पूर्व मंत्री भी दावेदार हैं। इसके अलावा कांग्रेस के निवर्तमान शहर जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा, उदयपुर जिलाध्यक्ष लालसिंह झाला, पंकज शर्मा, विधायक चुनाव लड़ चुके दिनेश श्रीमाली जैसे लोग दावेदारी कर रहे हैं। वहीं यूआईटी बीकानेर में पिछले विधानसभा चुनाव में दो बार जिनका टिकट कटा यशपाल गहलोत, मकसूद अहमद, सुशील थिरानी दावेदारी कर रहे हैं। इसी तरह यूआईटी अलवर के लिए भी कठ्‌ठुमर विधायक बाबूलाल बैरवा और उनके पुत्र भी दावेदारी कर रहे हैं। वहीं अनिल जैन और अजय अग्रवाल भी दावेदार हैं।
नेताओं में मायूसी : एक साल ही बचेगा
कांग्रेस में निगम और बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां भी इसी साल फरवरी में की गई थी। वहीं कई नियुक्तियां अब भी नहीं होने से नेताओं और कार्यकर्ताओं में मायूसी है। उनका मानना है कि अगर गुजरात चुनाव तक यह नियुक्तियां खिंचती हैं तो सिर्फ एक साल ही बचेगा। आम तौर पर प्राधिकरण और यूआईटी में कम से कम दो साल का कार्यकाल तो लोगों को मिलता ही है।

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