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नहीं रहे मुस्लिम समाज के धर्मगुरु गाजी फकीर

जोधपुर। पश्चिमी राजस्थान में मुस्लिम समाज के धर्मगुरु गाजी फकीर (84) का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार तडक़े जोधपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। जैसलमेर निवासी गाजी फकीर पाकिस्तान में मुस्लिम समाज के बड़े धर्मगुरु पीर पगारों के नुमाइंदे थे। जैसलमेर-बाड़मेर की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले गाजी फकीर का पूरा परिवार लंबे अरसे से राजनीति में सक्रिय है। इनके खिलाफ खोली गई हिस्ट्रीशीट भी बहुत चर्चा में रही है।
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर काफी दिन से बीमार चल रहे थे। कुछ दिन पूर्व वे कोमा में चले गए थे। इस पर उन्हें जोधपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पांच पुत्र हैं। प्रदेश में चाहे भाजपा या फिर कांग्रेस की सरकार हो, लेकिन गाजी के प्रभाव में कभी कोई कमी नहीं आई।
मुस्लिम समाज पर रही मजबूत पकड़
सीमावर्ती जैसलमेर-बाड़मेर की राजनीति में गाजी फकीर की बरसों तक मजबूत पकड़ रही। मुस्लिम समाज के वोट हमेशा से उनके इशारे पर ही पड़ते रहे हैं। पाकिस्तान में स्थित पीर पगारो के भारत में प्रतिनिधि की भूमिका वे बरसों से निभाते आ रहे थे। सीमावर्ती क्षेत्र में उन्हें बहुत अधिक मान सम्मान हासिल था। कहा जाता है कि गाजी फकीर का अलग से सामाजिक न्यायालय चलता था। मुस्लिम समाज के बीच होने वाले विभिन्न प्रकार के मसलों को सुलझाने के लिए वे बाकायदा अपना कोर्ट लगा कर फैसला देते थे। उनके फैसले को समाज के लोग सहर्ष स्वीकार करते रहे हैं।
परिवार राजनीति में सक्रिय
गाजी फकीर की बरसों तक राजनीति में मजबूत पकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके भाई फतेह मोहम्मद, बेटे सालेह मोहम्मद व अब्दुला फकीर जैसलमेर के जिला प्रमुख रह चुके हैं। साथ ही एक बेटा अमरुद्दीन प्रधान हैं। उनके बेटे सालेह मोहम्मद इस समय गहलोत सरकार में मंत्री पद पर हैं। कोरोना संक्रमित सालेह मोहम्मद इस समय जयपुर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। ऐसे में उनके आज जैसलमेर पहुंचने पर संशय बना हुआ है।

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